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पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga | Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga

Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga | Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा 

मैं भीग जाऊँगा छतरी नहीं बनाऊँगा 


अगर ख़ुदा ने बनाने का इख़्तियार दिया 

अलम बनाऊँगा बर्छी नहीं बनाऊँगा 


फ़रेब दे के तिरा जिस्म जीत लूँ लेकिन 

मैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊँगा 


गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँ 

नए मकान में खिड़की नहीं बनाऊँगा 


मैं दुश्मनों से अगर जंग जीत भी जाऊँ 

तो उन की औरतें क़ैदी नहीं बनाऊँगा 


तुम्हें पता तो चले बे-ज़बान चीज़ का दुख 

मैं अब चराग़ की लौ ही नहीं बनाऊँगा 


मैं एक फ़िल्म बनाऊँगा अपने 'सरवत' पर 

और इस में रेल की पटरी नहीं बनाऊँगा 

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga

Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

Parai Aag Pe Rotī Nahīñ Banāūñgā 

Maiñ Bhiig Jā.ūñgā Chhatrī Nahīñ Banā.ūñgā 


Agar ḳHudā Ne Banāne Kā Iḳhtiyār Diyā 

Alam Banā.ūñgā Barchhī Nahīñ Banā.ūñgā 


Fareb De Ke Tirā Jism Jiit Luuñ Lekin 

Maiñ Peḍ Kaat Ke Kashtī Nahīñ Banā.ūñgā 


Galī Se Koī Bhī Guzre To Chauñk Uthtā Huuñ 

Na.e Makān Meñ Khiḍkī Nahīñ Banā.ūñgā 


Maiñ Dushmanoñ Se Agar Jañg Jiit Bhī Jā.ūñ 

To Un Kī Aurteñ Qaidī Nahīñ Banā.ūñgā 


Tumheñ Patā To Chale Be-zabān Chiiz Kā Dukh 

Maiñ Ab Charāġh Kī Lau Hī Nahīñ Banā.ūñgā 


Maiñ Ek Film Banā.ūñgā Apne 'Sarvat' Par 

Aur Is Meñ Rail Kī Patrī Nahīñ Banā.ūñgā

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Tehzeeb Hafi

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga

Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

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