सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

New !!

From Page to Screen: 5 Hindi Classics That Became Cinematic Masterpieces

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga | Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga

Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga | Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा 

मैं भीग जाऊँगा छतरी नहीं बनाऊँगा 


अगर ख़ुदा ने बनाने का इख़्तियार दिया 

अलम बनाऊँगा बर्छी नहीं बनाऊँगा 


फ़रेब दे के तिरा जिस्म जीत लूँ लेकिन 

मैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊँगा 


गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँ 

नए मकान में खिड़की नहीं बनाऊँगा 


मैं दुश्मनों से अगर जंग जीत भी जाऊँ 

तो उन की औरतें क़ैदी नहीं बनाऊँगा 


तुम्हें पता तो चले बे-ज़बान चीज़ का दुख 

मैं अब चराग़ की लौ ही नहीं बनाऊँगा 


मैं एक फ़िल्म बनाऊँगा अपने 'सरवत' पर 

और इस में रेल की पटरी नहीं बनाऊँगा 

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga

Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

Parai Aag Pe Rotī Nahīñ Banāūñgā 

Maiñ Bhiig Jā.ūñgā Chhatrī Nahīñ Banā.ūñgā 


Agar ḳHudā Ne Banāne Kā Iḳhtiyār Diyā 

Alam Banā.ūñgā Barchhī Nahīñ Banā.ūñgā 


Fareb De Ke Tirā Jism Jiit Luuñ Lekin 

Maiñ Peḍ Kaat Ke Kashtī Nahīñ Banā.ūñgā 


Galī Se Koī Bhī Guzre To Chauñk Uthtā Huuñ 

Na.e Makān Meñ Khiḍkī Nahīñ Banā.ūñgā 


Maiñ Dushmanoñ Se Agar Jañg Jiit Bhī Jā.ūñ 

To Un Kī Aurteñ Qaidī Nahīñ Banā.ūñgā 


Tumheñ Patā To Chale Be-zabān Chiiz Kā Dukh 

Maiñ Ab Charāġh Kī Lau Hī Nahīñ Banā.ūñgā 


Maiñ Ek Film Banā.ūñgā Apne 'Sarvat' Par 

Aur Is Meñ Rail Kī Patrī Nahīñ Banā.ūñgā

-

Tehzeeb Hafi

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा - Parai Aag Pe Roti Nahi Banaunga

Tehzeeb Hafi Urdu Ghazal

More Posts:-

Famous Poems

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

Charkha Lyrics in English: Original, Hinglish, Hindi & Meaning Explained

Charkha Lyrics in English: Original, Hinglish, Hindi & Meaning Explained Discover the Soulful Charkha Lyrics in English If you've been searching for Charkha lyrics in English that capture the depth of Punjabi folk emotion, look no further. In this blog, we take you on a journey through the original lyrics, their Hinglish transliteration, Hindi translation, and poetic English translation. We also dive into the symbolism and meaning behind this heart-touching song. Whether you're a lover of Punjabi folk, a poetry enthusiast, or simply curious about the emotions behind the spinning wheel, this complete guide to the "Charkha" song will deepen your understanding. Original Punjabi Lyrics of Charkha Ve mahiya tere vekhan nu, Chuk charkha gali de vich panwa, Ve loka paane main kat di, Tang teriya yaad de panwa. Charkhe di oo kar de ole, Yaad teri da tumba bole. Ve nimma nimma geet ched ke, Tang kath di hullare panwa. Vasan ni de rahe saure peke, Mainu tere pain pulekhe. ...

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...
Follow my blog with Bloglovin