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किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में - Kise Khabar Hai Ki Umr Bas Ps Pe Ghaur | Tehzeeb Hafi Urdu Shayari

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में 

Kise Khabar Hai Ki Umr Bas Ps Pe Ghaur 

Tehzeeb Hafi Urdu Shayari

Kise Khabar Hai Ki Umr Bas Ps Pe Ghaur

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है 

कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है 


अजीब दुख है हम उस के हो कर भी उस को छूने से डर रहे हैं 

अजीब दुख है हमारे हिस्से की आग औरों में बट रही है 


मैं उस को हर रोज़ बस यही एक झूट सुनने को फ़ोन करता 

सुनो यहाँ कोई मसअला है तुम्हारी आवाज़ कट रही है 


मुझ ऐसे पेड़ों के सूखने और सब्ज़ होने से क्या किसी को 

ये बेल शायद किसी मुसीबत में है जो मुझ से लिपट रही है 


ये वक़्त आने पे अपनी औलाद अपने अज्दाद बेच देगी 

जो फ़ौज दुश्मन को अपना सालार गिरवी रख कर पलट रही है 


सो इस त'अल्लुक़ में जो ग़लत-फ़हमियाँ थीं अब दूर हो रही हैं 

रुकी हुई गाड़ियों के चलने का वक़्त है धुंध छट रही है 

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में - Kise Khabar Hai Ki Umr Bas Ps Pe Ghaur 

Tehzeeb Hafi Urdu Shayari

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में - Kise Khabar Hai Ki Umr Bas Ps Pe Ghaur | Tehzeeb Hafi Urdu Shayari
किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में - Kise Khabar Hai Ki Umr Bas Ps Pe Ghaur | Tehzeeb Hafi Urdu Shayari

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में - Kise Khabar Hai Ki Umr Bas Ps Pe Ghaur 

Tehzeeb Hafi Urdu Shayari

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में - Kise Khabar Hai Ki Umr Bas Ps Pe Ghaur  Tehzeeb Hafi Urdu Shayari
किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में - Kise Khabar Hai Ki Umr Bas Ps Pe Ghaur | Tehzeeb Hafi Urdu Shayari

kise ḳhabar hai ki umr bas us pe ġhaur karne meñ kaT rahī hai 

ki ye udāsī hamāre jismoñ se kis ḳhushī meñ lipaT rahī hai 


ajiib dukh hai ham us ke ho kar bhī us ko chhūne se Dar rahe haiñ 

ajiib dukh hai hamāre hisse kī aag auroñ meñ baT rahī hai 


maiñ us ko har roz bas yahī ek jhuuT sunñe ko phone kartā 

suno yahāñ koī mas.ala hai tumhārī āvāz kaT rahī hai 


mujh aise peḌoñ ke sūkhne aur sabz hone se kyā kisī ko 

ye bel shāyad kisī musībat meñ hai jo mujh se lipaT rahī hai 


ye vaqt aane pe apnī aulād apne ajdād bech degī 

jo fauj dushman ko apnā sālār girvī rakh kar palaT rahī hai 


so is ta'alluq meñ jo ġhalat-fahmiyāñ thiiñ ab duur ho rahī haiñ 

rukī huī gāḌiyoñ ke chalne kā vaqt hai dhundh chat rahī hai 

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Tehzeeb Hafi

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में - Kise Khabar Hai Ki Umr Bas Ps Pe Ghaur 

Tehzeeb Hafi Urdu Shayari

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