Meri Aadhi Umar Guzar Gayi Lyrics - Irfan Sattar (Rizq o Ishq Meaning)
क्या कभी आपको ऐसा महसूस हुआ है कि रोज़ी-रोटी (Livelihood) कमाने की जद्दोजहद में ज़िंदगी कहीं पीछे छूट गई? इरफ़ान सत्तार (Irfan Sattar) की यह ग़ज़ल उसी टीस को बयां करती है। "मेरी आधी उमर गुज़र गई" महज़ एक ग़ज़ल नहीं, बल्कि आज के दौर के हर उस इंसान की कहानी है जो अपने सपनों और ज़रूरतों के बीच फंसा हुआ है।
साहित्यशाला के इस Urdu poetry explanation (तशरीह) लेख में हम पढ़ेंगे इरफ़ान सत्तार की यह नायाब रचना। अगर आप शायर के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, तो Rekhta.org: Irfan Sattar Profile & Ghazals (Authoritative Source) देखें।
Meri Aadhi Umar Guzar Gayi Lyrics (Hindi)
कहीं हो न जाऊँ मैं राएगाँ — मेरी आधी उम्र गुज़र गई। कभी साएबाँ भी न था बहम, कभी क़हकशाँ थी क़दम-क़दम,
कभी बे-मकाँ, कभी ला-मकाँ — मेरी आधी उम्र गुज़र गई। तेरे वस्ल की जो नवीद है — वो क़रीब है कि बईद है?
मुझे कुछ ख़बर दो, जान-ए-जाँ — मेरी आधी उम्र गुज़र गई। कभी मुझको फ़िक्र-ए-मआश है, कभी आप अपनी तलाश है,
कोई गुर बता, मेरे नुक़्ता-दान — मेरी आधी उम्र गुज़र गई। कभी ज़िक्र-ए-हुरमत-ओ-हर्फ़ में, कभी फ़िक्र-ए-आमद-ओ-सर्फ़ में,
यूँ ही रिज़्क़ ओ इश्क़ के दरमियान — मेरी आधी उम्र गुज़र गई। कोई ताना-ज़न मेरी ज़ात पर, कोई ख़ंदा-ज़न किसी बात पर
प-ए-दिल-नवाज़ी-ए-दोस्ताँ, मेरी आधी उमर गुज़र गई। अभी वक़्त कुछ मेरे पास है, ये ख़बर नहीं है, क़यास है
कोई कर गिला मेरे बद-गुमाँ, मेरी आधी उमर गुज़र गई। उसे पा लिया, उसे खो दिया — कभी हँस दिया, कभी रो दिया,
बड़ी मुख़्तसर-सी है दास्तान — मेरी आधी उम्र गुज़र गई। तेरी हर दलील बहुत बजा, मगर इंतज़ार भी ता-कुजा?
ज़रा सोच तो, मेरे राज़दान — मेरी आधी उम्र गुज़र गई। कहाँ काइनात में घर करूँ? मैं यह जान लूँ तो सफ़र करूँ;
इसी सोच में था कि नागहाँ — मेरी आधी उम्र गुज़र गई।
— इरफ़ान सत्तार
Meri Aadhi Umar Guzar Gayi Lyrics (Urdu)
कहीं ہو نہ جاؤں میں رائیگاں، میری آدھی عمر گزر گئی کبھی سائباں بھی نہ تھا بہم، کبھی کہکشاں تھی قدم قدم
کبھی بے مکاں، کبھی لا مکاں، میری آدھی عمر گزر گئی ترے وصل کی جو نوید ہے، وہ قریب ہے کہ بعید ہے
مجھے کچھ خبر دو جانِ جاں، میری آدھی عمر گزر گئی کبھی مجھ کو فکرِ معاش ہے، کبھی آپ اپنی تلاش ہے
کوئی گر بتا مرے نکتہ داں، میری آدھی عمر گزر گئی کبھی ذکرِ حرمتِ حرف میں، کبھی فکرِ آمد و صرف میں
یوں ہی رزق و عشق کے درمیان، میری آدھی عمر گزر گئی اسے پا لیا، اسے کھو دیا، کبھی ہنس دیا، کبھی رو دیا
بڑی مختصر سی ہے داستاں، میری آدھی عمر گزر گئی تری ہر دلیل بہت بجا، مگر انتظار بھی تا کجا
ذرا سوچ تو، میرے رازداں — میری آدھی عمر گزر گئی کہاں کائنات میں گھر کروں، میں یہ جان لوں تو سفر کروں
اسی سوچ میں تھا کہ ناگہاں، میری آدھی عمر گزر گئی
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| The Sands of Struggle: A visual interpretation of the couplet "Yoon hi Rizq o Ishq ke darmiyan..." showing the coins of livelihood transforming into the fading petals of passion as time slips away. |
Deep Meaning & Analysis (भावार्थ और तशरीह)
यह ग़ज़ल आधुनिक मनुष्य की विडंबना (Irony) को दर्शाती है। आइये इसके गहरे अर्थों को समझते हैं:
1. रिज़्क़ और इश्क़ की जंग (Livelihood vs Passion)
ग़ज़ल का सबसे मजबूत शेर है: "यूँ ही रिज़्क़ ओ इश्क़ के दरमियान..."। शायर अफसोस जताता है कि वह पूरी जिंदगी इन दोनों को संतुलित (Balance) करने में लगा रहा। यह कशमकश इतनी लंबी चली कि पता ही नहीं चला कब आधी उम्र बीत गई। यह शेर ठीक वैसी ही बेबाकी रखता है जैसे निदा फ़ाज़ली की शायरी में जीवन के संघर्ष (सफ़र में धूप) का ज़िक्र मिलता है।
2. अस्तित्व का संकट (Existential Crisis)
शेर "कहीं हो न जाऊँ मैं राएगाँ" एक गहरा डर दर्शाता है। 'राएगाँ' का मतलब है व्यर्थ या बेकार हो जाना। यह वही पागलपन है जो हमें काफ़िर हूँ, सरफिरा हूँ... जैसी रचनाओं में देखने को मिलता है।
3. दुनिया के ताने (Social Scrutiny)
शेर "कोई ताना-ज़न मेरी ज़ात पर" में शायर समाज की बेरुखी बयां करता है। जब इंसान अपने दिल की सुनता है, तो दुनिया अक्सर उसे समझ नहीं पाती। लोग दर्द नहीं बांटते, बस नुक्ता-चीनी (Criticism) करते हैं, और इसी को समझाने में बाकी उम्र गुज़र जाती है।
4. मंज़िल की अनिश्चितता (The Sudden End)
इंसान पूरी ज़िदगी योजना (Planning) बनाता है, लेकिन 'नागहाँ' (अचानक) समय का पहिया उसे चौंका देता है। अगर आप जीवन में हौसला ढूँढ रहे हैं, तो राहत इंदौरी की "परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है" ज़रूर पढ़ें।
जहाँ इरफ़ान सत्तार आधुनिक जीवन की उलझनों की बात करते हैं, वहीं क्लासिक शायरी के लिए आप Khumar Barabankvi या Jigar Moradabadi's Best Ghazals पढ़ सकते हैं।
Word Meanings (कठिन शब्दों के अर्थ)
शायरी का असली मज़ा तब है जब आप लफ़्ज़ों की गहराई समझें।
- राएगाँ (Raaygaan): व्यर्थ, बेकार (Wasted).
- साएबाँ (Saieban): छाया, आसरा (Shelter).
- क़हकशाँ (Kahkashan): आकाशगंगा (Galaxy).
- ला-मकाँ (La-Makan): जिसका कोई घर न हो (God's abode).
- नुक़्ता-दान (Nuqta-dan): आलोचक (Critic/Sage).
- नवीद (Navid): खुशखबरी (Good News/Announcement).
- बईद (Baeed): दूर (Far/Distant).
- ताना-ज़न (Taana-zan): ताने मारने वाला (One who taunts).
- हुरमत (Hurmat): इज़्ज़त (Respect).
- नागहाँ (Nagahan): अचानक (Suddenly).
Conclusion (निष्कर्ष)
इरफ़ान सत्तार की यह ग़ज़ल हमें ठहर कर सोचने पर मजबूर करती है। क्या हम सिर्फ ज़िंदा हैं, या जी रहे हैं? उर्दू अदब में ऐसे कई मोती हैं। मिसाल के तौर पर, सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं (अहमद फ़राज़) जैसी ग़ज़लें साहित्यशाला पर ज़रूर पढ़ें। और अगर आप नए दौर की बेहतरीन हिंदी कविताओं की तलाश में हैं, तो हमारा Best Hindi Poetry Collection का पेज विज़िट करें।
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| The Poet: Irfan Sattar, whose verses capture the deep existential struggle of the modern man stuck between Rizq (livelihood) and Ishq (passion). |
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Frequently Asked Questions (FAQ)
Q: Who wrote the ghazal 'Meri Aadhi Umar Guzar Gayi'?
A: This famous ghazal is written by the modern Urdu poet Irfan Sattar (इरफ़ान सत्तार).
Q: What is the meaning of 'Rizq o Ishq' in the ghazal?
A: 'Rizq' means livelihood/sustenance and 'Ishq' means love/passion. The poet describes the conflict of spending half his life balancing earning money and following his heart.
Q: What is the meaning of 'Raaygaan' in Urdu?
A: Raaygaan (राएगाँ) means 'wasted', 'vain', or 'fruitless'. In the poem, it refers to the fear of a life wasted without purpose.


