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सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो - Safar Mein Dhoop To Hogi Jo Chal Sako To Chalo | Nida Fazli Ghazal

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो - Safar Mein Dhoop To Hogi Jo Chal Sako To Chalo

Nida Fazli Ghazal

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो

सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं

तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो


यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता

मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो


कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा

ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो


यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें

इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो

-

निदा फ़ाज़ली


सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो - Safar Mein Dhoop To Hogi Jo Chal Sako To Chalo

safar meñ dhoop to hogī jo chal sako to chalo

sabhī haiñ bhiiḌ meñ tum bhī nikal sako to chalo


kisī ke vāste rāheñ kahāñ badaltī haiñ

tum apne aap ko ḳhud hī badal sako to chalo


yahāñ kisī ko koī rāsta nahīñ detā

mujhe girā ke agar tum sambhal sako to chalo

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो - Safar Mein Dhoop To Hogi Jo Chal Sako To Chalo | Nida Fazli Ghazal

kahīñ nahīñ koī sūraj dhuāñ dhuāñ hai fazā

ḳhud apne aap se bāhar nikal sako to chalo


yahī hai zindagī kuchh ḳhvāb chand ummīdeñ

inhīñ khilaunoñ se tum bhī bahal sako to chal





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