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बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता - Bata E Abr Musavat Kyun Nahi | Tehzeeb Hafi Shayari

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता - Bata E Abr Musavat Kyun Nahi

Tehzeeb Hafi Shayari

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता - Bata E Abr Musavat Kyun Nahi | Tehzeeb Hafi Shayari

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता 

हमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता 


महाज़-ए-इश्क़ से कब कौन बच के निकला है 

तू बच गया है तो ख़ैरात क्यूँ नहीं करता 


वो जिस की छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं 

वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता 


मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ 

वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता 


मुझे तू जान से बढ़ कर अज़ीज़ हो गया है 

तो मेरे साथ कोई हाथ क्यूँ नहीं करता

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता  Bata E Abr Musavat Kyun Nahi Tehzeeb Hafi Shayari

Batā Ai Abr Musāvāt Kyuuñ Nahīñ Kartā 

Hamāre Gaañv Meñ Barsāt Kyuuñ Nahīñ Kartā 


Mahāz-e-ishq Se Kab Kaun Bach Ke Niklā Hai 

Tū Bach Gayā Hai To ḳHairāt Kyuuñ Nahīñ Kartā 


Vo Jis Kī Chhāñv Meñ Pachchīs Saal Guzre Haiñ 

Vo Peḍ Mujh Se Koī Baat Kyuuñ Nahīñ Kartā 


Maiñ Jis Ke Saath Ka.ī Din Guzār Aayā Huuñ 

Vo Mere Saath Basar Raat Kyuuñ Nahīñ Kartā 


Mujhe Tū Jaan Se Baḍh Kar Aziiz Ho Gayā Hai 

To Mere Saath Koī Haath Kyuuñ Nahīñ Kartā

-

Tehzeeb Hafi


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