मेरे अपने मुझे ग़ैरों की तरह देखते हैं - Mere Apne Mujhe Gairon Ki Tarah Dekhte Hain | हिमांशी बाबरा
मेरे अपने मुझे ग़ैरों की तरह देखते हैं - Mere Apne Mujhe Gairon Ki Tarah Dekhte Hain
हिमांशी बाबरा Ki Ghazal
लोग तो लोग हैं लोगों की तरह देखते हैं
और हम हैं तुझे बच्चों की तरह देखते हैं
हम को दुनिया ने लकड़हारा समझ रक्खा है
हम तो पेड़ों को परिंदों की तरह देखते हैं
मैं जो देखूँ तो झपकती नहीं आँखें मेरी
और हज़रत मुझे अंधों की तरह देखते हैं
तुम तो फिर ग़ैर हो तुम से तो शिकायत कैसी
मेरे अपने मुझे ग़ैरों की तरह देखते हैं
तेरा दीदार क़ज़ा होता नहीं है हम से
हम तुझे फ़र्ज़ नमाज़ों की तरह देखते हैं
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