सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

New !!

Suna Hai Log Use Aankh Bhar Ke Dekhte Hain - सुना है लोग उसे आँख भर | Ahmad Faraz Ki Ghazal

चांद का मुँह टेढ़ा है: कविता, सारांश और व्याख्या | Chand Ka Muh Tedha Hai (Muktibodh)

हिंदी कविता के आकाश में कुछ नक्षत्र ऐसे होते हैं जिनकी रोशनी आँखों को सुकून नहीं देती, बल्कि आत्मा को बेचैन कर देती है। गजानन माधव मुक्तिबोध की कालजयी रचना "चांद का मुँह टेढ़ा है" (Chand Ka Muh Tedha Hai) एक ऐसा ही दहकता हुआ दस्तावेज़ है। जहाँ अन्य कवि चाँद को सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक मानते हैं, वहीं मुक्तिबोध को उस चाँद में एक क्रूर विद्रूपता नज़र आती है।

यह कविता केवल शब्दों का जाल नहीं है, बल्कि एक भयानक 'फैंटेसी' है—एक ऐसा दुःस्वप्न जो आधुनिक शहर की काली सच्चाईयों को उजागर करता है। जिस तरह नागार्जुन ने जंगल और प्रकृति के माध्यम से विद्रोह की आवाज़ उठाई, उसी तरह मुक्तिबोध ने शहर की अंधेरी गलियों, कारखानों और वीरान पुलों के नीचे छिपे भय को शब्द दिए हैं।

Cover of the book 'Chand Ka Muh Tedha Hai' by Gajanan Madhav Muktibodh, featuring abstract art.
Chand Ka Muh Tedha Hai - Full Poem and Summary
"अंधेरे के पेट में से ज्वालाओं की आँत बाहर निकल आय..."

इस कविता को पढ़ते समय आपको महसूस होगा कि आप शब्दों के ज़रिए एक तिलिस्मी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। यह यात्रा आसान नहीं है, लेकिन साहित्य प्रेमी जानते हैं कि जीवन की असली प्रेरणा अक्सर संघर्षों के अंधेरे से ही मिलती है। आइये, मुक्तिबोध के इस जटिल और अद्भुत संसार में प्रवेश करें।

चांद का मुँह टेढ़ा है

- गजानन माधव मुक्तिबोध -


नगर के बीचों-बीच
आधी रात--अंधेरे की काली स्याह
शिलाओं से बनी हुई
भीतों और अहातों के, काँच-टुकड़े जमे हुए
ऊँचे-ऊँचे कन्धों पर
चांदनी की फैली हुई सँवलायी झालरें।
चांद का मुँह टेढ़ा है पूर्ण कविता | Gajanan Madhav Muktibodh
Chand Ka Muh Tedha Hai (Muktibodh)
कारखाना--अहाते के उस पार
धूम्र मुख चिमनियों के ऊँचे-ऊँचे
उद्गार--चिह्नाकार--मीनार
मीनारों के बीचों-बीच
चांद का है टेढ़ा मुँह!!
भयानक स्याह सन तिरपन का चांद वह !!
गगन में करफ़्यू है
धरती पर चुपचाप ज़हरीली छिः थूः है !!

(जैसे गोपालदास नीरज ने कारवाँ गुज़र जाने की बात कही थी, यहाँ मुक्तिबोध उसी गुज़रते वक़्त के भयानक चेहरे को दिखा रहे हैं।)


पीपल के खाली पड़े घोंसलों में पक्षियों के,
पैठे हैं खाली हुए कारतूस ।
गंजे-सिर चांद की सँवलायी किरनों के जासूस
साम-सूम नगर में धीरे-धीरे घूम-घाम
नगर के कोनों के तिकोनों में छिपे है !!

चांद की कनखियों की कोण-गामी किरनें
पीली-पीली रोशनी की, बिछाती है
अंधेरे में, पट्टियाँ ।
देखती है नगर की ज़िन्दगी का टूटा-फूटा
उदास प्रसार वह ।

वीडियो: कविता का पाठ

भीमाकार पुलों के बहुत नीचे, भयभीत
मनुष्य-बस्ती के बियाबान तटों पर
बहते हुए पथरीले नालों की धारा में
धराशायी चांदनी के होंठ काले पड़ गये
... (कविता का शेष भाग नीचे जारी है) ...

बरगद की डाल एक
मुहाने से आगे फैल
सड़क पर बाहरी
लटकती है इस तरह--
मानो कि आदमी के जनम के पहले से
पृथ्वी की छाती पर
जंगली मैमथ की सूँड़ सूँघ रही हो

पोस्टर पहने हुए
बरगद की शाखें ढीठ
पोस्टर धारण किये
भैंरों की कड़ी पीठ
भैंरों और बरगद में बहस खड़ी हुई है
ज़ोरदार जिरह कि कितना समय लगेगा
सुबह होगी कब और
मुश्किल होगी दूर कब...

सारांश और व्याख्या: चांद का मुँह टेढ़ा क्यों है?

गजानन माधव मुक्तिबोध की यह कविता केवल एक कोरी कल्पना नहीं है। द इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख के अनुसार, मुक्तिबोध नेहरू युग के मोहभंग और भारतीय राजनीति के गिरते स्तर को देख रहे थे। यहाँ 'चांद' वह शीतल उपग्रह नहीं है जिसे प्रेमी निहारते हैं। यहाँ चांद 'सत्ता' (Establishment) का प्रतीक है जो टेढ़ा है, क्रूर है और जासूस की तरह शहर के हर कोने में झाँक रहा है।

कविता में बार-बार आने वाले बिम्ब—जैसे अंधियाला ताल, बरगद का पेड़, और गांधी की मूर्ति पर बैठा घुग्घू—समाज की सड़ांध को दर्शाते हैं। यह कविता हमें याद दिलाती है कि जब तक हम स्मृतियों के दीपक जलाकर सच्चाई को नहीं देखेंगे, तब तक अंधेरा कायम रहेगा।

📥 Download Study Notes (PDF) - सार + प्रश्न-उत्तर + रचनाकार + विधा (Free)

मुक्तिबोध का यह 'फैंटेसी' शिल्प हिंदी साहित्य में अद्वितीय है। जहाँ अन्य हिंदी कविताएँ भावनाओं के सागर में तैरती हैं, मुक्तिबोध की कविताएँ बुद्धि और विवेक के हथौड़े से चोट करती हैं। यह कविता पाठकों से सवाल करती है—क्या हम सिर्फ दर्शक बने रहेंगे, या उस 'सुबह' की तलाश करेंगे जिसका ज़िक्र कविता के अंत में है?

महत्वपूर्ण प्रतीक और बिम्ब (Symbolism)

  • चाँद: क्रूर सत्ता, जासूसी और षड्यंत्र का प्रतीक।
  • अंधेरा: अज्ञानता और निराशा का वातावरण।
  • घुग्घू: विवेकहीनता और अंधभक्ति।
  • बरगद: पुरानी और रूढ़िवादी परंपराएं जो समाज को जकड़े हुए हैं।

यदि आप साहित्य की और गहराइयों में जाना चाहते हैं, तो खुमार बाराबंकवी की ग़ज़लें या मैथिली कविताओं का आनंद भी ले सकते हैं, जो भावनाओं के अलग रंग प्रस्तुत करती हैं।

📄 Download PDF (Full Poem & Notes)
Free PDF Notes for UPSC & Students

कवि परिचय: गजानन माधव मुक्तिबोध

जन्म: 13 नवंबर 1917 (श्योपुर, ग्वालियर)
मृत्यु: 11 सितंबर 1964
काव्य शैली: लंबी कविताएँ, फैंटेसी, प्रगतिवाद

Rare black and white photo of Hindi poet Gajanan Madhav Muktibodh smoking, author of Chand Ka Muh Tedha Hai.
प्रसिद्ध कवि गजानन माधव मुक्तिबोध, 'फैंटेसी' के जनक।

मुक्तिबोध 'तार सप्तक' के पहले कवि थे। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा। उनकी तुलना अक्सर पाश्चात्य कवियों से की जाती है लेकिन उनकी जड़ें गहरी भारतीय हैं। उनके बारे में विस्तृत जानकारी आप विकिपीडिया या रेख़्ता (Hindwi) पर पढ़ सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1. 'चांद का मुँह टेढ़ा है' कविता का क्या अर्थ है?

इस कविता का अर्थ सत्ता के दमनकारी चरित्र और पूंजीवादी समाज में आम आदमी की बेबसी को उजागर करना है। यह उनकी लंबी कविताओं में से एक महत्वपूर्ण रचना मानी जाती है, जिसमें आधुनिक समय का अंधकार, सत्ता और व्यवस्था का आतंक दिखता है।

Q2. इस कविता में 'चांद' किसका प्रतीक है?

इस कविता में चांद सुंदरता का नहीं, बल्कि सत्ता की विद्रूपता, षड्यंत्र और जासूसी का प्रतीक है। यह 'Establishment' का वह चेहरा है जो आम आदमी के जीवन पर लगातार क्रूर नज़र रखता है। यहाँ चाँदनी शीतलता नहीं, बल्कि भय और सन्नाटा फैलाती है।

Q3. चांद का मुंह टेढ़ा है कविता का मूल भाव क्या है?

यह कविता आधुनिक सभ्यता की विसंगतियों, पूंजीवादी शोषण और मध्यमवर्गीय जीवन के संघर्ष को 'फैंटेसी' (Fantasy) शिल्प के माध्यम से दर्शाती है। इसमें कवि ने अंधेरे, बरगद और घुग्घू जैसे बिम्बों के जरिए समाज में व्याप्त डर और अनिश्चितता का चित्रण किया है।

Q4. चांद का मुंह टेढ़ा है का प्रकाशन कब हुआ?

यह कविता संग्रह भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा 1964 में मुक्तिबोध की मृत्यु के बाद प्रकाशित किया गया था। इसमें उनकी प्रतिनिधि कविताएं जैसे 'अंधेरे में' और 'ब्रह्मराक्षस' भी शामिल हैं, जो हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं।

Famous Poems

Charkha Lyrics in English: Original, Hinglish, Hindi & Meaning Explained

Charkha Lyrics in English: Original, Hinglish, Hindi & Meaning Explained Discover the Soulful Charkha Lyrics in English If you've been searching for Charkha lyrics in English that capture the depth of Punjabi folk emotion, look no further. In this blog, we take you on a journey through the original lyrics, their Hinglish transliteration, Hindi translation, and poetic English translation. We also dive into the symbolism and meaning behind this heart-touching song. Whether you're a lover of Punjabi folk, a poetry enthusiast, or simply curious about the emotions behind the spinning wheel, this complete guide to the "Charkha" song will deepen your understanding. Original Punjabi Lyrics of Charkha Ve mahiya tere vekhan nu, Chuk charkha gali de vich panwa, Ve loka paane main kat di, Tang teriya yaad de panwa. Charkhe di oo kar de ole, Yaad teri da tumba bole. Ve nimma nimma geet ched ke, Tang kath di hullare panwa. Vasan ni de rahe saure peke, Mainu tere pain pulekhe. ...

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics & Meaning (Hindi) | Nusrat Fateh Ali Khan

Home › Nusrat Fateh Ali Khan › Saadgi To Hamari Lyrics सादगी तो हमारी ज़रा देखिए | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics & Meaning साहित्यशाला में आपका स्वागत है। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कव्वाली की दुनिया का वो नायाब नगीना, जिसे उस्ताद नुसरत फतह अली खान साहब ने अपनी रूहानी आवाज़ से अमर कर दिया है— "सादगी तो हमारी ज़रा देखिए" । मशहूर शायर क़तील शिफ़ाई द्वारा लिखी गई यह ग़ज़ल सिर्फ़ शब्दों का खेल नहीं, बल्कि एक ऐसे प्रेमी की व्यथा है जिसने अंजाम जानते हुए भी प्यार किया। इसकी पंक्तियाँ— "लोग डरते हैं कातिल की परछाई से" —आज भी हर टूटे दिल को अपनी कहानी लगती हैं। The legend singing the famous lines "Log Darte Hai Katil Ki Parchai Se" from the Qawwali. अगर आप नुसरत साहब की रूहानी गायकी के दीवाने हैं, तो हमारी वेबसाइट पर उनकी एक और मशहूर कव्वाली मस्त नज़रों से अल्लाह बचाए के लिरिक्स ज़रूर पढ़ें। आइये, अब इस ग़...

Mahabharata Poem in Hindi: कृष्ण-अर्जुन संवाद (Amit Sharma) | Lyrics & Video

Last Updated: November 2025 Table of Contents: 1. Introduction 2. Full Lyrics (Krishna-Arjun Samvad) 3. Watch Video Performance 4. Literary Analysis (Sahitya Vishleshan) महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता Mahabharata Poem On Arjuna by Amit Sharma Visual representation of the epic dialogue between Krishna and Arjuna. This is one of the most requested Inspirational Hindi Poems based on the epic conversation between Lord Krishna and Arjuna. Explore our Best Hindi Poetry Collection for more Veer Ras Kavitayein. तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी || रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें उदास लगे | ...

Kahani Karn Ki Lyrics (Sampurna) – Abhi Munde (Psycho Shayar) | Karna Poem

Kahani Karn Ki Lyrics (Sampurna) – Abhi Munde (Psycho Shayar) "Kahani Karn Ki" (popularly known as Sampurna ) is a viral spoken word performance that reimagines the Mahabharata from the perspective of the tragic hero, Suryaputra Karna . Written by Abhi Munde (Psycho Shayar), this poem questions the definitions of Dharma and righteousness. Quick Links: Lyrics • Meaning • Poet Bio • Watch Video • FAQ Abhi Munde (Psycho Shayar) performing the viral poem "Sampurna" कहानी कर्ण की (Sampurna) - Full Lyrics पांडवों को तुम रखो, मैं कौरवों की भीड़ से, तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं | 👉 Must Read: सूर्यपुत्र कर्ण पर कवि वि...

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Lyrics (Hinglish & Hindi) – Rahgir Context & Meaning: Few contemporary folk artists capture the irony of modern existence as sharply as Rahgir . In his viral masterpiece, "Aadmi Chutiya Hai" (The Man is a Fool), he delivers a scathing social satire on human hypocrisy. The song exposes the paradox of the urban man: we destroy nature to build concrete jungles, yet we pine for "freshness" and "rivers" in that very artificial environment. It is a commentary on the virodhabhas (contradiction) of wanting to find life in the "corpses of flowers." Below are the complete Hinglish and Hindi lyrics. Aadmi Chutiya Hai Lyrics (Hinglish) Phoolon ki lashon mein taazgi chahta hai Phoolon ki lashon mein taazgi chahta hai Aadmi chutiya hai, kuch bhi chahta hai Zinda hai to aasman mein udne ki zid hai Mar jaaye to sadne ko zameen chahta hai Aadm...