अगर 'सोचता हूँ' इश्क़ का दर्दनाक अंत है, और 'तुम्हें दिल्लगी' एक चेतावनी है, तो "मेरे रश्क-ए-क़मर" (Mere Rashk-e-Qamar) उस इश्क़ की जादुई शुरुआत है।
यह वह पल है जब दो नज़रें पहली बार मिलती हैं। नुसरत फतेह अली खान साहब की यह कव्वाली महज़ एक गाना नहीं, बल्कि ख़ूबसूरती (Beauty) की सबसे बेहतरीन तारीफ है। इसे फिल्म 'बादशाहो' में दोबारा रीक्रिएट किया गया, लेकिन जो नशा नुसरत साहब की ओरिजिनल हारमोनियम की धुन में है, वो कहीं और नहीं।
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| "मेरे रश्क-ए-क़मर..." — जब तुम्हारी खूबसूरती देखकर चाँद भी जलने लगे। |
"मेरे रश्क-ए-क़मर" का अर्थ है "ऐ वो हसीन चेहरे, जिसे देखकर चाँद को भी जलन हो"। यह फ़ना बुलंद शहरी की लिखी एक ग़ज़ल है जो पहली नज़र के प्यार (Love at first sight) और रूहानी नशे का जश्न मनाती है।
Poet/Lyricist: Fana Buland Shehri (फ़ना बुलंद शहरी)
Original Singer: Ustad Nusrat Fateh Ali Khan
मेरे रश्क-ए-क़मर, तूने पहली नज़र (First Glance)
जब नज़र से मिलाई, मज़ा आ गया
बर्क़ सी गिर गयी, काम ही कर गयी (Barq = बिजली)
आग ऐसी लगाई, मज़ा आ गया
जाम में घोल कर हुस्न की मस्तियाँ
चाँदनी मुस्कुराई, मज़ा आ गया
चाँद के साये में ऐ मेरे साक़िया (Saqiya = पिलाने वाला)
तूने ऐसी पिलाई, मज़ा आ गया
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| "जाम में घोल कर हुस्न की मस्तियाँ..." — यह शराब नहीं, रूहानी नशा है। |
(अंतरा)
नशा शीशे में अंगड़ाई लेने लगा
बज़्म-ए-रिंदाँ में सागर खनकने लगे (Bazm = महफ़िल)
मयक़दे पे बरसने लगीं मस्तियाँ
जब घटा घिर के छाई, मज़ा आ गया
बे-हिजाबाना वो सामने आ गए (Without Veil)
और जवानी जवानी से टकरा गई
आँख उनकी लड़ी, यूँ मेरी आँख से
देख कर ये लड़ाई, मज़ा आ गया
Mere rashk-e-qamar, tune pehli nazar
Jab nazar se milayi, maza aa gaya
Barq si gir gayi, kaam hi kar gayi
Aag aisi lagayi, maza aa gaya
Jaam mein ghol kar husn ki mastiyan
Chandni muskurayi, maza aa gaya
Chand ke saaye mein aye mere saqiya
Tune aisi pilayi, maza aa gaya
(Verse)
Nasha sheeshe mein angdayi lene laga
Bazm-e-rindaan mein saagar khanakne lage
Maykade pe barasne lagi mastiyan
Jab ghata ghir ke chhayi, maza aa gaya
Be-hijabaana wo saamne aa gaye
Aur jawani jawani se takra gayi
Aankh unki ladi, yun meri aankh se
Dekh kar ye ladayi, maza aa gaya
Deep Meaning & Word Analysis (भावार्थ)
| Keyword/Line | Deep Meaning & Context |
|---|---|
| Rashk-e-Qamar (रश्क-ए-क़मर) |
Meaning: चाँद की ईर्ष्या (The Envy of the Moon). Context: रश्क (Rashk) का मतलब है जलन, और क़मर (Qamar) का मतलब है चाँद। यानी तुम इतने हसीन हो कि तुम्हें देखकर चाँद को भी जलन होती है। |
| Barq si gir gayi (बर्क़) |
Meaning: बिजली (Lightning). Emotion: पहली नज़र का असर ऐसा था जैसे बिजली गिर गई हो—तेज़, अचानक और जानलेवा। |
| Be-hijabaana (बे-हिजाबाना) |
Meaning: बिना पर्दा किये (Without Veil/Unveiled). Connection: यह वही पर्दा है जिसका ज़िक्र तुम्हें दिल्लगी में किया गया है ("खुदा के लिए छोड़ दो अब ये पर्दा")। यहाँ वो पर्दा हट चुका है और मिलन हो गया है। |
| Bazm-e-Rindaan (बज़्म-ए-रिंदाँ) |
Meaning: पीने वालों की महफ़िल (Gathering of Drunkards/Lovers). Sufi Context: सूफीवाद में 'शराब' अक्सर ईश्वरीय प्रेम (Divine Love) का प्रतीक होती है। |
Is it Romantic or Sufi? (रोमांस या इबादत?)
नुसरत साहब की गायकी में दो परतें (Layers) होती हैं:
- रोमानी परत (Romantic Layer): ऊपरी तौर पर यह एक प्रेमी का गीत है जो अपनी महबूबा की सुंदरता और पहली नज़र का जश्न मना रहा है।
- सूफी परत (Sufi Layer): गहराई में, 'रश्क-ए-क़मर' ईश्वर (Divine) या गुरु (Murshid) का नूर है। 'साक़िया' (पिलाने वाला) गुरु है जो ज्ञान की शराब (Ishq-e-Haqeeqi) पिला रहा है।
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| "बर्क़ सी गिर गयी, काम ही कर गयी..." — पहली नज़र का वो जानलेवा जादू। |
इश्क़ के तीन पड़ाव (The 3 Stages of Love):
- ✅ Step 1 (The Magic): You are reading 'Mere Rashk-e-Qamar'
- ⚠️ Step 2 (The Warning): Tumhe Dillagi Bhool Jani Padegi
- 💔 Step 3 (The Heartbreak): Sochta Hoon Wo Kitne Masoom The
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Frequently Asked Questions (FAQ)
What does 'Rashk-e-Qamar' mean?
'Rashk' means Envy/Jealousy and 'Qamar' means Moon. The phrase translates to "The Envy of the Moon" — implying the beloved is so beautiful that even the moon gets jealous.
Who wrote Mere Rashke Qamar?
It was written by the Urdu poet Fana Buland Shehri, not Nusrat Fateh Ali Khan (who composed the tune).
Is Mere Rashk-e-Qamar a ghazal or a qawwali?
It is originally a ghazal written by Fana Buland Shehri, which Nusrat Fateh Ali Khan presented in the qawwali tradition through musical improvisation, repetition, and tazmeen.
निष्कर्ष
'मेरे रश्क-ए-क़मर' सिर्फ़ एक गाना नहीं, बल्कि उर्दू शायरी का वो नगीना है जो इश्क़ के सबसे खूबसूरत पलों को बयां करता है।
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