क्या 'दिललगी' (Flirting) और 'मोहब्बत' (Love) एक ही चीज़ है? बिलकुल नहीं। और इसी अंतर को समझाने के लिए उस्ताद नुसरत फतेह अली खान ने एक ऐसी कव्वाली गाई जिसने प्रेम की परिभाषा बदल दी—"तुम्हें दिललगी भूल जानी पड़ेगी"।
दशकों बाद, उनके भतीजे राहत फतेह अली खान ने इसे एक नए अंदाज़ में पेश किया। जहाँ नुसरत साहब की आवाज़ में एक रूहानी चेतावनी (Warning) थी, वहीं राहत के वर्ज़न में एक मॉडर्न शिकायत (Complaint) है। यह फर्क वैसा ही है जैसा शिकस्त-ए-दिल और आधुनिक ब्रेकअप में होता है।
साहित्यशाला के इस लेख में हम इन दोनों संस्करणों की तुलना (Comparison) करेंगे, इसके पूरे हिंदी और इंग्लिश लिरिक्स पढ़ेंगे और जानेंगे कि यह रचना सिर्फ़ एक गाना नहीं, बल्कि एक सबक क्यों है।
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| नुसरत साहब की रूहानी 'चेतावनी' बनाम राहत साहब का मॉडर्न 'दर्द'—असली फर्क यहाँ देखें। |
Lyrics: Purnam Allahabadi (पूर्णम इलाहाबादी)
Original Composer/Singer: Ustad Nusrat Fateh Ali Khan
Remake Singer: Rahat Fateh Ali Khan (ft. Huma Qureshi)
NFAK Original vs. Rahat Remake: असली फर्क क्या है?
अक्सर लोग पूछते हैं कि कौन सा वर्ज़न बेहतर है? सच यह है कि दोनों अलग-अलग 'इरादों' (Intent) से गाए गए हैं।
| Feature | Nusrat Fateh Ali Khan (Original) | Rahat Fateh Ali Khan (Remake) |
|---|---|---|
| Style (शैली) | Classical Qawwali: हारमोनियम, तबला और तालियाँ इसका आधार हैं। | Pop Fusion: यह एक 'गीत' (Ballad) की तरह है, जिसमें गिटार और ड्रम्स का प्रयोग है। |
| Tone (लहज़ा) | चेतावनी (Authoritative): नुसरत साहब एक उस्ताद की तरह डांट रहे हैं—"मोहब्बत करके देखो, तब हकीकत पता चलेगी।" | शिकायत (Painful): राहत साहब एक प्रेमी की तरह दर्द बयान कर रहे हैं जो धोखा खा चुका है। |
| Composition | शुद्ध राग आधारित और तज़्मीन (Improvisation) से भरपूर। | सरल और सुगम संगीत (Easy Listening)। |
तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी
मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो
तड़पने पे मेरे न फिर तुम हँसोगे
कभी दिल किसी से लगाकर तो देखो
होठों पे उल्फत के फ़साने नहीं आते
जो बीत गए फिर वो ज़माने नहीं आते
दोस्त ही होते हैं जो दुश्मनी करते हैं
वरना गैरों को तो दिल दुखाने नहीं आते
(अंतरा)
वफ़ाओं की हमसे तवक़्क़ो नहीं है
मगर एक बार आज़मा कर तो देखो
ज़माने को अपना बनाकर न देखा
हमें भी तुम अपना बनाकर तो देखो
खुदा के लिए छोड़ दो अब ये परदा
की हैं आज हम तुम नहीं गैर कोई
शब-ए-वस्ल भी है हिजाब इस कदर क्यों
ज़रा रुख से आँचल हटाकर तो देखो
तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी...
Tumhe dillagi bhool jani padegi
Mohabbat ki raahon mein aakar to dekho
Tadapne pe mere na phir tum hasoge
Kabhi dil kisi se lagakar to dekho
Hothon pe ulfat ke fasane nahi aate
Jo beet gaye phir wo zamane nahi aate
Dost hi hote hain jo dushmani karte hain
Warna ghairon ko to dil dukhane nahi aate
(Verse)
Wafaon ki humse tawaqqo nahi hai
Magar ek baar aazma kar to dekho
Zamane ko apna banakar na dekha
Humein bhi tum apna banakar to dekho
Khuda ke liye chhod do ab ye parda
Ki hain aaj hum tum nahi ghair koi
Shab-e-wasl bhi hai hijaab is qadar kyun
Zara rukh se aanchal hatakar to dekho
Qawwali vs Pop: The Soul of the Composition
नुसरत साहब की प्रस्तुति को समझना सिर्फ़ लिरिक्स पढ़ने से ज़्यादा है। यह एक 'खिताब' (Khitaab/Direct Address) है।
- माशूक से मुर्शिद तक (The Shift): ऊपरी तौर पर यह एक प्रेमी को डांट लग रही है, लेकिन सूफी परंपरा में यह उस 'भक्त' या 'शिष्य' के लिए भी है जो ईश्वर/गुरु से सच्चा प्रेम करने का दावा तो करता है, लेकिन असल में सिर्फ़ दिखावा (Dillagi) कर रहा है।
- दिल्लगी का असली मतलब: यहाँ 'दिल्लगी' का अर्थ Modern Dating नहीं, बल्कि 'मन-बहलाव' है। शायर कह रहा है कि जिस दिन तुम्हें 'इश्क़-ए-हकीकी' (सच्चा प्रेम) होगा, उस दिन तुम्हारे सारे खेल ख़त्म हो जाएंगे। यह वही दर्शन है जो चरखा (Charkha) में कर्मों के बारे में बताया गया है।
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| "मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो..." — दिल्लगी एक खिलौना है, लेकिन मोहब्बत एक आग है। |
Deep Meaning & Analysis (भावार्थ)
| Keyword/Line | Deep Meaning & Context |
|---|---|
| Mohabbat ki Raahon mein |
Meaning: प्रेम के रास्तों में (In the path of love). Context: यह रास्ता आसान नहीं है। यह सोचता हूँ वो कितने मासूम थे की तरह मासूमियत से शुरू होकर दर्दनाक अंत तक जाता है। |
| Tawaqqo (तवक़्क़ो) |
Meaning: उम्मीद या अपेक्षा (Expectation). Line: "वफ़ाओं की हमसे तवक़्क़ो नहीं है" - यह एक तंज़ (Sarcasm) है। तुम हमें बेवफ़ा समझते हो, लेकिन असल में वफ़ा क्या है, यह हम तुम्हें दिखाएंगे। इसे कहना गलत गलत के धोखे से भी जोड़ा जा सकता है। |
| Shab-e-Vasl (शब-ए-वस्ल) |
Meaning: मिलन की रात (Night of Union). Context: यह सूफी दर्शन में आत्मा और परमात्मा के मिलन का भी प्रतीक हो सकता है। जब पर्दा हट गया, तो 'हिजाब' (शर्म/Veil) कैसा? |
Key Urdu-Sufi Terms Used in the Qawwali
- Dillagi (दिल्लगी): Amusing oneself, flirting, or taking something lightly.
- Hijab (हिजाब): Veil, modesty, or a barrier between the lover and beloved.
- Rukh (रुख़): Face or countenance.
- Ghair (गैर): Stranger or 'The Other' (anyone other than God/Beloved).
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| "की हैं आज हम तुम, नहीं गैर कोई..." — जब आत्मा और परमात्मा एक हो जाएं, तो पर्दा कैसा? |
Watch Both Versions (Original & Live)
Frequently Asked Questions (FAQ)
Who wrote the lyrics of 'Tumhe Dillagi Bhool Jani Padegi'?
The lyrics were written by Purnam Allahabadi. Many people mistakenly attribute it solely to Nusrat Fateh Ali Khan, who composed and popularized it.
What is the difference between Nusrat and Rahat's version?
Nusrat's version is a traditional Qawwali focusing on vocal improvisation and tabla. Rahat's version is a shorter, polished ballad with modern instruments, made for a music video.
निष्कर्ष
चाहे आप नुसरत साहब के रूहानी अंदाज़ को पसंद करें या राहत की मखमली आवाज़ को, 'तुम्हें दिल्लगी' का संदेश एक ही है—प्रेम कोई खेल नहीं, यह एक तपस्या है।
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