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मातृभाषा का महोत्सव - Matribhasha Ka Mahatva | Hindi Diwas Par Kavita

एक शिकार एतने शिकारी ओफ़-फोह - Ek Shikaar Itne Shikari Ohff Fohh | Rafeek Shadani

 शिकार एतने शिकारी ओफ़-फोह - Ek Shikaar Itne Shikari Ohff Fohh ओफ़-फोह By  Rafeek Shadani देख के बोले हज़ारी ओफ़-फोह एक शिकार एतने शिकारी ओफ़-फोह चंद्रास्वामी, राव जी, सुखराम जी देश में एतने पुजारी ओफ़-फोह मन्दिरों-मस्ज़िद में न जूता बचे यह क़दर चोरी- चमारी ओफ़-फोह भाजपा बसपा में साझा भय रहा भेड़िया बकरी में यारी ओफ़-फोह हर परेशानी के अड्डा मोर घर देख के बोले बुखारी ओफ़-फोह हर महकमा घूम के देखा रफ़ीक यह क़दर ईमानदारी ओफ़-फोह - रफ़ीक  शादानी तुम चाहत हौ भाईचारा,  उल्लू हौ

Jiyo Bahadur Khaddar Dhari - जियौ बहादुर खद्दर धारी! Rafeek Shadani

Jiyo Bahadur Khaddar Dhari - जियौ बहादुर खद्दर धारी! Rafeek Shadani Sahab Ki  Jiyo bahadur Khaddar Dhari  ई मँहगाई ई बेकारी, नफ़रत कै फ़ैली बीमारी दुखी रहै जनता बेचारी, बिकी जात बा लोटा -थारी। जियौ बहादुर खद्दर धारी! मनमानी हड़ताल करत हौ, देसवा का कंगाल करत हौ खुद का मालामाल करत हौ, तोहरेन दम से चोर बज़ारी। जियौ बहादुर खद्दर धारी! धूमिल भै गाँधी कै खादी, पहिरै लागै अवसरवादी या तो पहिरैं बड़े प्रचारी, देश का लूटौ बारी-बारी। जियौ बहादुर खद्दर धारी! तन कै गोरा, मन कै गन्दा, मस्जिद मंदिर नाम पै चंदा सबसे बढ़ियाँ तोहरा धंधा, न तौ नमाज़ी, न तौ पुजारी जियौ बहादुर खद्दर धारी! सूखा या सैलाब जौ आवै, तोहरा बेटवा ख़ुसी मनावै घरवाली आँगन मा गावै, मंगल भवन अमंगल हारी। जियौ बहादुर खद्दर धारी! झंडै झंडा रंग-बिरंगा, नगर-नगर मा कर्फ़्यू दंगा खुसहाली मा पड़ा अड़ंगा, हम भूखा तू खाव सोहारी जियौ बहादुर खद्दर धारी! बरखा मा विद्यालय ढहिगा, वही के नीचे टीचर रहिगा नहर के खुलतै दुई पुल बहिगा, तोहरेन पूत कै ठेकेदारी। जियौ बहादुर खद्दर धारी! - रफ़ीक  शादानी तुम चाहत हौ भाईचारा,  उल्लू हौ एक शिका...

Rafeek Shadani Sahab Poems - रफ़ीक शादानी साहब की कवितायेँ

Rafeek Shadani Sahab Poems - रफ़ीक शादानी साहब की कवितायेँ नेता लोगे घुमै लागे - Neta Loge Gumai Lage  नेता लोगे घुमै लागे, अपनी-अपनी जजमानी मा. उठौ काहिलऊ, छोरौ खिचरी मारो हाथ बिरयानी मा. इहई वार्ता होति रही कल, रामदास-रमजानी मा. दूध कई मटकी धरेउ न भईया, बिल्ली के निगरानी मा. Rafeek Shadani Poems - रफ़ीक शादानी कवितायेँ न वो ज्ञानी, न वो ध्यानी - Na Wo Gyaani, Na Wo Dhyaani न वो ज्ञानी, न वो ध्यानी न वो विरहमन, न वो शोख वो कोई और थे जो तेरे मकां तक पहुंचे मंदिर मस्जिद बनै न बिगडै सोन चिरैया फंसी रहै भाड में जाए देश की जनता आपन कुर्सी बची रहै जब नगीचे चुनाव आवत हैं भात मांगव पुलाव पावत है जौने डगर पर तलुवा तोर छिल गवा है ऊ डगर पर चल कै रफीक, बहुत दूर गवा है तुमका जान दिल से मानित है तोहरे नगरी कै ख़ाक छानित है सकल का देखि कै बुद्धू न कहौ हमहूँ प्यार करै जानित है गायित कुछ है, हाल कुछ है लेबिल कुछ है, माल कुछ है ऊ जौ हम पे मेहरबान हैं भईया एमहन चाल है कुछ Rafeek Shadani Sahab Poems - रफ़ीक शादानी साहब की कवितायेँ कबहूँ ठण्डी तौ कबहूँ गरम  ज़िन्दगी  - Kabahu Thandi Tau Kabah...

Tum Chahat Ho Bhaichara, Ullu Hau - तुम चाहत हौ भाईचारा, उल्लू हौ - रफ़ीक शादानी | Rafeek Shadani

तुम चाहत हौ भाईचारा,  उल्लू हौ - Tum Chahat Ho Bhaichara, Ullu Hao रफ़ीक शादानी | Rafeek Shadani तुम चाहत हौ भाईचारा? उल्लू हौ। देखै लाग्यौ दिनै मा तारा? उल्लू हौ। समय कै समझौ यार इशारा उल्लू हौ, तुमहू मारौ हाथ करारा उल्लू हौ। जवान बीवी छोड़ के दुबई भागत हौ? जैसे तैसे करौ गुजारा उल्लू हौ। कहत रहेन ना फँसौ प्यार के चक्कर मा झुराय के होइ गयेव छोहारा उल्लू हौ। डिगिरी लैके बेटा दर दर भटकौ ना, हवा भरौ बेँचौ गुब्बारा उल्लू हौ। इनका उनका रफीक का गोहरावत हौ? जब उ चहिहैं मिले किनारा उल्लू हौ - रफ़ीक शादानी Bhai Rahgir Ye Hum Konsi Gaadi Pe Chadh Gaye एक शिकार एतने शिकारी ओफ़-फोह

Famous Poems

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics | दर पे सुदामा गरीब आ गया है

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स देखो देखो ये गरीबी, ये गरीबी का हाल । कृष्ण के दर पे, विश्वास लेके आया हूँ ।। मेरे बचपन का यार है, मेरा श्याम । यही सोच कर मैं, आस कर के आया हूँ ।। अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो । अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो ।। के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है । के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है ।। भटकते भटकते, ना जाने कहां से । भटकते भटकते, ना जाने कहां से ।। तुम्हारे महल के, करीब आ गया है । तुम्हारे महल के, करीब आ गया है ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। हो..ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। बता दो कन्हैया को । नाम है सुदामा ।। इक बार मोहन, से जाकर के कह दो । तुम इक बार मोहन, से जाकर के कह दो ।। के मिलने सखा, बदनसीब आ...