Rafeek Shadani Sahab Poems - रफ़ीक शादानी साहब की कवितायेँ
नेता लोगे घुमै लागे - Neta Loge Gumai Lage
नेता लोगे घुमै लागे,
अपनी-अपनी जजमानी मा.
उठौ काहिलऊ, छोरौ खिचरी
मारो हाथ बिरयानी मा.
इहई वार्ता होति रही कल,
रामदास-रमजानी मा.
दूध कई मटकी धरेउ न भईया,
बिल्ली के निगरानी मा.
Rafeek Shadani Poems - रफ़ीक शादानी कवितायेँ
न वो ज्ञानी, न वो ध्यानी - Na Wo Gyaani, Na Wo Dhyaani
न वो ज्ञानी, न वो ध्यानी
न वो विरहमन, न वो शोख
वो कोई और थे
जो तेरे मकां तक पहुंचे
मंदिर मस्जिद बनै न बिगडै
सोन चिरैया फंसी रहै
भाड में जाए देश की जनता
आपन कुर्सी बची रहै
जब नगीचे चुनाव आवत हैं
भात मांगव पुलाव पावत है
जौने डगर पर तलुवा तोर छिल गवा है
ऊ डगर पर चल कै रफीक, बहुत दूर गवा है
तुमका जान दिल से मानित है
तोहरे नगरी कै ख़ाक छानित है
सकल का देखि कै बुद्धू न कहौ
हमहूँ प्यार करै जानित है
गायित कुछ है, हाल कुछ है
लेबिल कुछ है, माल कुछ है
ऊ जौ हम पे मेहरबान हैं
भईया एमहन चाल है कुछ
Rafeek Shadani Sahab Poems - रफ़ीक शादानी साहब की कवितायेँ
कबहूँ ठण्डी तौ कबहूँ गरम ज़िन्दगी - Kabahu Thandi Tau Kabahu Garam Zindagi
कबहूँ ठण्डी तौ कबहूँ गरम ज़िन्दगी
एक गँजेड़ी कै जइसे चिलम ज़िन्दगी।
का कही ऐसा पावा है हम ज़िन्दगी
बिन सियाही के जइसे कलम ज़िन्दगी।
दिल के चक्कर मा अस छीछालेदर भई
हाय सत्यम सिवम सुन्दरम ज़िन्दगी।
हम ई जानेन कि अब दुख से फुरसत मिली
दुह घड़ी हँसि के भै बेधरम ज़िन्दगी।
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रफ़ीक शादानी