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मातृभाषा का महोत्सव - Matribhasha Ka Mahatva | Hindi Diwas Par Kavita

चुपके चुपके रात दिन - Chupke Chupke Raat Din | ग़ुलाम अली | हसरत मोहानी

चुपके चुपके रात दिन - Chupke Chupke Raat Din | ग़ुलाम अली | हसरत मोहानी चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है बा-हज़ाराँ इज़्तिराब ओ सद-हज़ाराँ इश्तियाक़ तुझ से वो पहले-पहल दिल का लगाना याद है बार बार उठना उसी जानिब निगाह-ए-शौक़ का और तिरा ग़ुर्फ़े से वो आँखें लड़ाना याद है तुझ से कुछ मिलते ही वो बेबाक हो जाना मिरा और तिरा दाँतों में वो उँगली दबाना याद है खींच लेना वो मिरा पर्दे का कोना दफ़अ'तन और दुपट्टे से तिरा वो मुँह छुपाना याद है जान कर सोता तुझे वो क़स्द-ए-पा-बोसी मिरा और तिरा ठुकरा के सर वो मुस्कुराना याद है तुझ को जब तन्हा कभी पाना तो अज़-राह-ए-लिहाज़ हाल-ए-दिल बातों ही बातों में जताना याद है जब सिवा मेरे तुम्हारा कोई दीवाना न था सच कहो कुछ तुम को भी वो कार-ख़ाना याद है ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ वो तिरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है आ गया गर वस्ल की शब भी कहीं ज़िक्र-ए-फ़िराक़ वो तिरा रो रो के मुझ को भी रुलाना याद है दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए वो तिरा कोठे पे नंगे ...

आज सोचा तो आँसू भर आए - Aaj Socha To Aansu Bhar Aaye | Kaifi Azmi - कैफ़ी आज़मी

आज सोचा तो आँसू भर आए - Aaj Socha To Aansu Bhar Aaye  Kaifi Azmi - कैफ़ी आज़मी आज सोचा तो आँसू भर आए मुद्दतें हो गईं मुस्कुराए हर क़दम पर उधर मुड़ के देखा उन की महफ़िल से हम उठ तो आए रह गई ज़िंदगी दर्द बन के दर्द दिल में छुपाए छुपाए दिल की नाज़ुक रगें टूटती हैं याद इतना भी कोई न आए - Kaifi Azmi - कैफ़ी आज़मी झुकी झुकी सी नज़र - Jhuki Jhuki Si Nazar तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो - Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho

Ise Fan Nahi Parda-E-fam Kaho - इसे फ़न नहीं पर्दा-ए-फ़न कहो | Bashir Badr Ghazals

Ise Fan Nahi Parda-E-fam Kaho - इसे फ़न नहीं पर्दा-ए-फ़न कहो  Bashir Badr Ghazals इसे फ़न नहीं पर्दा-ए-फ़न कहो ग़ज़ल को चराग़ों की चिलमन कहो इन्हीं में सँवरते रहो उम्र-भर सदा मेरी आँखों को दर्पन कहो वो जब चाहे सरसब्ज़ कर दे मुझे मिरे वास्ते उस को सावन कहो क़दम चाँद से मेरे दिल पर रखो इसे भी कभी घर का आँगन कहो जवाँ हो के मिल जाएँगे ख़ाक में गुलों को शहीदों का बचपन कहो कई बाग़ हैं इस ज़मीं के तले मिरे दिल को यादों का मदफ़न कहो सितारों के धब्बे खुला आसमाँ इसे भी शराबी का दामन कहो - Bashir Badr  ( बशीर बद्र )

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है - dil-e-naadaan tujhe huaa kyaa hai | Mirza Ghalib Ghazal

 दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है - Dil-E-Nadaan Tujhe Hua Kya Hai Ghazal Mirza Ghalib Ghazal dil-e-naadaan tujhe huaa kyaa hai aakhir is dard kii davaa kyaa hai ham hain mushtaaq aur vo bezaar yaa ilaahii ye maajaraa kyaa hai main bhii muunh me zabaan rakhataa huun kaash puuchho ki muddaa kyaa hai jab ki tujh bin nahii.n koii maujuud phir ye hangaamaa, ai Khudaa kyaa hai hamako unase vafaa kii hai ummiid jo nahii.n jaanate vafaa kyaa hai TRANSLATION- Innocent heart, what has happened to you? Alas, what is the cure to this pain? We are interested, and they are displeased, Oh Lord, what is this affair? I too possess a tongue- just ask me what I want to say. Though there is none present without you, then oh God, what is this noise about? I expected faith from those who do not even know what faith is.  दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है  आख़िर इस दर्द की दवा क्या है  हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार  या इलाही ये माजरा क्या है  मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ  काश पूछो ...

मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या : जॉन एलिया | John Elia Hindi Ghazal

 मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या ? || John Elia Hindi Ghazal ||  || John Elia Ki Hindi Ghazal || गाहे गाहे बस अब यही हो क्या ? तुमसे मिल कर बहुत ख़ुशी हो क्या ? मिल रही हो बड़े तपाक के साथ, मुझ को अकसर भुला चुकी हो क्या ? याद हैं अब भी अपने ख़्वाब तुम्हें, मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या ? अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं, बस मुझे यूं ही इक ख़याल आया, सोचती हो तो सोचती हो क्या ? अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं, अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या ? क्या कहा इश्क़ जावेदानी है! आख़िरी बार मिल रही हो क्या ? मेरे सब तंज़ बे-असर ही रहे, हां फ़ज़ा यां की सोई सोई सी है, तो बहुत तेज़ रौशनी हो क्या ? मेरे सब तंज़ बे-असर ही रहे, तुम बहुत दूर जा चुकी हो क्या ? दिल में अब सोज़-ए-इंतिज़ार नहीं, शम-ए-उम्मीद बुझ गई हो क्या ? इस समुंदर पे तिश्ना-काम हूं मैं, बान तुम अब भी बह रही हो क्या ?   || जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल ||  || जौन एलिया की हिंदी ग़ज़ल ||

Haalat-E-Haal Ke Sabab Ghazal - हालत-ए-हाल के सबब, हालत-ए-हाल ही गई | John Elia Hindi Ghazal

हालत-ए-हाल के सबब || John Elia Hindi Ghazal ||  || John Elia Ki Hindi Ghazal ||  हालत-ए-हाल के सबब, हालत-ए-हाल ही गई, शौक़ में कुछ नहीं गया, शौक़ की ज़िंदगी गई | एक ही हादिसा तो है और वो ये के आज तक, बात नहीं कही गयी, बात नहीं सुनी गई | बाद भी तेरे जान-ए-जान दिल में रहा अजब सामान, याद रही तेरी यहाँ, फिर तेरी याद भी गई | उसके बदन को दी नमूद हमने सुखन में और फिर, उसके बदन के वास्ते एक काबा भी सी गई | उसकी उम्मीद-ए-नाज़ का हमसे ये मान था के आप, उम्र गुज़ार दीजिये, उम्र गुज़ार दी गई | उसके विसाल के लिए, अपने कमाल के लिए, हालत-ए-दिल की थी खराब, और खराब की गई | तेरा फ़िराक जान-ए-जान ऐश था क्या मेरे लिए, यानी तेरे फ़िराक में खूब शराब पी गई | उसकी गली से उठ के मैं आन पडा था अपने घर, एक गली की बात थी और गली गली गई | || जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल ||  || जौन एलिया की हिंदी ग़ज़ल ||  

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे: जौन एलिया | John Elia Hindi Ghazal

 कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे || John Elia Hindi Ghazal ||  || John Elia Ki Hindi Ghazal || कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे, जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे |   शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं, मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे | वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था, आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे |   उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा, यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे | यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का, वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे | मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे, यानी मेरे बाद भी , यानी साँस लिए जाते होंगे | || जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल ||  || जौन एलिया की हिंदी ग़ज़ल ||  

Famous Poems

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics | दर पे सुदामा गरीब आ गया है

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स देखो देखो ये गरीबी, ये गरीबी का हाल । कृष्ण के दर पे, विश्वास लेके आया हूँ ।। मेरे बचपन का यार है, मेरा श्याम । यही सोच कर मैं, आस कर के आया हूँ ।। अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो । अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो ।। के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है । के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है ।। भटकते भटकते, ना जाने कहां से । भटकते भटकते, ना जाने कहां से ।। तुम्हारे महल के, करीब आ गया है । तुम्हारे महल के, करीब आ गया है ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। हो..ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। बता दो कन्हैया को । नाम है सुदामा ।। इक बार मोहन, से जाकर के कह दो । तुम इक बार मोहन, से जाकर के कह दो ।। के मिलने सखा, बदनसीब आ...