कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
|| John Elia Hindi Ghazal ||
|| John Elia Ki Hindi Ghazal ||
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे,
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे |
शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं,
मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे |
वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था,
आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे |
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा,
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे |
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का,
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे |
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे,
यानी मेरे बाद भी , यानी साँस लिए जाते होंगे |
|| जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल ||
|| जौन एलिया की हिंदी ग़ज़ल ||