Khuddar Mere Shehar Ka Faakon Se Mar Gaya | खुद्दार मेरे शहर का फाँकों से मर गया खुद्दार मेरे शहर का फाँकों से मर गया राशन जो आ रहा था वो अफ़सर के घर गया चढ़ती रही मज़ार पे चादर तो बेशुमार बाहर जो एक फ़क़ीर था सर्दी से मर गया रोटी अमीर-ए-शहर के कुत्तों ने छीन ली फ़ाका गरीब-ए-शहर के बच्चों में बँट गया चेहरा बता रहा था की मारा है भूख ने हाकिम ने कह दिया के कुछ खा के मर गया |
Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम, जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि, किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से, हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम, बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||