Hindi Poems On Parivartan|
Parivartan Par Kavita
परिवर्तन
परिवर्तन स्वाभाविक काल चक्र का वरदान हैं|
सामाजिक जीवन ऋतु में परिवर्तन ही उपादान हैं||
नियम सुना है प्रकृति का,
परिवर्तन इसका नाम है।
हर युग से पहले आता,
प्रकृति का ईनाम है ||
हर नव-निर्माण से पहले,
खंडहर ढाये जाते है।
हर नव-जीवन आने से पहले,
हम पीड़ा ही पाते है।।
अमृत के आने से पहले,
हलाहल ही तो आता है।
सृष्टि के निर्माण से पहले,
काल गीत कुछ गाता है ||
स्वयं बना विध्वंसक मानव,
खुद ही का घर जलाता है।
अपनी ही मूर्खता से,
तांडव को स्वयं को बुलाता है।।
वृक्षों को वो रहा उखाड़,
औरों का जीवन रहा उजाड़ |
अपने स्वार्थ के लिए मानव,
विश्व के साथ कर रहा खिलवाड़ ||
जनसंख्या का विस्फोट हो ,
या हो कूड़ा दाह संस्कार |
जन्म देने वाली माँ पर,
हम कर रहे है अत्याचार ||
आ-गया दौर बड़ा विकराल,
मौत खड़ी है रूप विशाल।
कल ज्योति देता था जो दीपक,
जला रहा बन धधकती मशाल।।
केवल एक विषाणु ने,
लाखों को है मार दिया।
पर माँ ने स्वयं परिवर्तन से,
खुद को है सवार लिया।।
डरने और घबराने से,
नहीं बनेगी बात,आओ,
मिलकर हम सब करे,
परिवर्तन साथ साथ |
परिवर्तन का सुखद संदेसा ,
घर घर तक पहुंचना है |
मानवता के लिए सदा ,
खुशहाली ही लाना है ||
हर्ष नाथ झा