सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

New !!

Auratein - औरतें By रमाशंकर यादव विद्रोही | Women Empowerment Poems

अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte

अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! - Ranbhoomi Me Chhal Karte

|| Karna Par Hindi Kavita ||

अरे रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! ||Mahabharata Par Hindi kavita || || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna ||
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte
सारा जीवन श्रापित-श्रापित, हर रिश्ता बेनाम कहो,
मुझको ही छलने के खातिर मुरली वाले श्याम कहो,
तो किसे लिखूं मैं प्रेम की पाती,
किसे लिखूं मैं प्रेम की पाती,
कैसे-कैसे इंसान हुए,
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए !

अरे रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! ||Mahabharata Par Hindi kavita || || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna ||
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte
अरे रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! ||Mahabharata Par Hindi kavita || || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna ||
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte
कि मन कहता है, मन करता है, कुछ तो माँ के नाम लिखूं ,
एक मेरी जननी को लिख दूँ, एक धरती के नाम लिखूं,
प्रश्न बड़ा है मौन खड़ा - धरती संताप नहीं देती,
और धरती मेरी माँ होती तो, मुझको श्राप नहीं देती |
तो जननी माँ को वचन दिया है, जननी माँ को वचन दिया है,
पांडव का काल नहीं हूँ मैं,

अरे! जो बेटा गंगा में छोड़े, उस कुंती का लाल नहीं हूँ मैं |
तो क्या लिखना इन्हें प्रेम की पाती, क्या लिखना इन्हें प्रेम की पाती,
जो मेरी ना पहचान हुए, 
अरे! रणभूमि में छल करते हो,
तुम कैसे भगवान हुए ?

अरे रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! ||Mahabharata Par Hindi kavita || || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna ||
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte

अरे रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! ||Mahabharata Par Hindi kavita || || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna ||
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte

कि सारे जग का तम हरते, बेटे का तम ना हर पाए |
कि सारे जग का तम हरते, बेटे का तम ना हर पाए |
इंद्र ने विषम से कपट किये, बस तुम ही सम ना कर पाए |
अर्जुन की सौगंध की खातिर, बादल ओट छुपे थे तुम |
और श्री कृष्ण के एक इशारे, कुछ पल अधिक रुके थे तुम |
तो पार्थ पराजित हुआ जो मुझसे, तुम को रास नहीं आया |
देख के मेरे रण-कौशल को, कोई भी पास नहीं आया |
दो पल जो तुम रुक जाते तो, दो पल जो तुम रुक जाते तो,
अपना शौर्य दिखा देता|

मुरली वाले के सम्मुख, अर्जुन का शीश गिरा देता |

अरे रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! ||Mahabharata Par Hindi kavita || || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna ||
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte

मुरली वाले के सम्मुख, अर्जुन का शीश गिरा देता ||
बेटे का जीवन हरते हो, बेटे का जीवन हरते हो,
तुम कैसे दिनमान हुए !
रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए |


अरे रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! ||Mahabharata Par Hindi kavita || || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna ||
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte
पक्षपात का चक्रव्यूह क्यों द्रोण नहीं तुम से टूटा ?
और सर्वश्रेष्ठ अर्जुन ही हो, बस मोह नहीं तुम से छूटा,
एकलव्य का लिया अंगूठा, मुझको सूत बताते हो,
अरे! खुद दौने में जन्म लिया और मुझको जात दिखाते हो |

अरे रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! ||Mahabharata Par Hindi kavita || || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna ||
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte
अरे रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! ||Mahabharata Par Hindi kavita || || Karna Par Hindi Kavita || || Poem On Karna ||
अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte
te
अब धरती के विश्व विजेता परशुराम की बात सुनो,
अरे! एक झूठ पर सब कुछ छीना नियति का आघात सुनो,
तो देकर भी जो ग्यान भुलाया
देकर भी जो ग्यान भुलाया, कैसा शिष्टाचार किया |
अरे! दानवीर इस सूर्यपुत्र को तुमने जिंदा मार दिया |
कि दानवीर इस सूर्यपुत्र को तुमने जिंदा मार दिया |
फिर भी तुमको ही पूजा है तुम ही बस सम्मान हुए,
अरे रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुए ?

अरे! रणभूमि में छल करते हो, तुम कैसे भगवान हुए ! | Karna Par Hindi Kavita | Ranbhoomi Me Chhal Karte

For More Poems Go To The Page HERE

Famous Poems

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...