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Auratein - औरतें By रमाशंकर यादव विद्रोही | Women Empowerment Poems

Motivational Hindi Kavita - जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे - Ramdhari Singh Dinkar

जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे - Jeena Ho To Marne Se Nahi Darna Re

रामधारी सिंह दिनकर की हिंदी कवितायेँ

रामधारी सिंह दिनकर की हिंदी कविता

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सम्भालो

चट्टानों की छाती से दूध निकालो

है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो

पीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ो |

जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे - Ramdhari Singh Dinkar

चढ़ तुँग शैल शिखरों पर सोम पियो रे

योगियों नहीं विजयी के सदृश जियो रे |


जब कुपित काल धीरता त्याग जलता है

चिनगी बन फूलों का पराग जलता है

सौन्दर्य बोध बन नई आग जलता है

ऊँचा उठकर कामार्त्त राग जलता है |


अम्बर पर अपनी विभा प्रबुद्ध करो रे

गरजे कृशानु तब कँचन शुद्ध करो रे |


जिनकी बाँहें बलमयी ललाट अरुण है

भामिनी वही तरुणी, नर वही तरुण है

है वही प्रेम जिसकी तरँग उच्छल है

वारुणी धार में मिश्रित जहाँ गरल है |

जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे - Ramdhari Singh Dinkar

उद्दाम प्रीति बलिदान बीज बोती है

तलवार प्रेम से और तेज होती है |


छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए

मत झुको अनय पर भले व्योम फट जाए

दो बार नहीं यमराज कण्ठ धरता है

मरता है जो एक ही बार मरता है |


तुम स्वयं मृत्यु के मुख पर चरण धरो रे

जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे |


स्वातन्त्रय जाति की लगन व्यक्ति की धुन है

बाहरी वस्तु यह नहीं भीतरी गुण है

वीरत्व छोड़ पर का मत चरण गहो रे

जो पड़े आन खुद ही सब आग सहो रे |


जब कभी अहम पर नियति चोट देती है

कुछ चीज़ अहम से बड़ी जन्म लेती है

नर पर जब भी भीषण विपत्ति आती है

वह उसे और दुर्धुर्ष बना जाती है |

जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे - Ramdhari Singh Dinkar

चोटें खाकर बिफरो, कुछ अधिक तनो रे

धधको स्फुलिंग में बढ़ अंगार बनो रे |


उद्देश्य जन्म का नहीं कीर्ति या धन है

सुख नहीं धर्म भी नहीं, न तो दर्शन है

विज्ञान ज्ञान बल नहीं, न तो चिन्तन है

जीवन का अन्तिम ध्येय स्वयं जीवन है |


सबसे स्वतन्त्र रस जो भी अनघ पिएगा

पूरा जीवन केवल वह वीर जिएगा ||

-

रामधारी सिंह दिनकर

Motivational Hindi Kavita - जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे - Ramdhari Singh Dinkar

Ramdhari Singh Dinkar Hindi Poems

Ramdhari Singh Dinkar Hindi Kavitayein


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|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

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सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

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Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

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