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Auratein - औरतें By रमाशंकर यादव विद्रोही | Women Empowerment Poems

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

 सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है

रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता

दिनकर की हिंदी कविता

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai
Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है,
शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं।

मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को।

है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ?
खम ठोंक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़।
मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है
Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai
गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर,
मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो।
बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है।

पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड, झरती रस की धारा अखण्ड,
मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार।
जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं।

वसुधा का नेता कौन हुआ?
भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ?
अतुलित यश क्रेता कौन हुआ?
नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ ?
जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया।

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है
Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai
जब विघ्न सामने आते हैं, सोते से हमें जगाते हैं,
मन को मरोड़ते हैं पल-पल, तन को झँझोरते हैं पल-पल।
सत्पथ की ओर लगाकर ही, जाते हैं हमें जगाकर ही।

वाटिका और वन एक नहीं, आराम और रण एक नहीं।
वर्षा, अंधड़, आतप अखंड, पौरुष के हैं साधन प्रचण्ड।
वन में प्रसून तो खिलते हैं, बागों में शाल न मिलते हैं।

कंकरियाँ जिनकी सेज सुघर, छाया देता केवल अम्बर,
विपदाएँ दूध पिलाती हैं, लोरी आँधियाँ सुनाती हैं।
जो लाक्षा-गृह में जलते हैं, वे ही शूरमा निकलते हैं।

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है
Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai
बढ़कर विपत्तियों पर छा जा, मेरे किशोर! मेरे ताजा!
जीवन का रस छन जाने दे, तन को पत्थर बन जाने दे।
तू स्वयं तेज भयकारी है, क्या कर सकती चिनगारी है?

Ramdhari Singh 'Dinkar' Hindi Poem

Dinkar Hindi Kavita



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