सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

New !!

याद आता है तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल: नागार्जुन की प्रेम और विरह की कविता | Yaad Aata Hai Tumhara Sindoor Tilkit Bhaal with Meaning

याद आता है तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल: नागार्जुन की प्रेम और विरह की कविता | Yaad Aata Hai Tumhara Sindoor Tilkit Bhaal with Meaning

याद आता है तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल: नागार्जुन की प्रेम और विरह की कविता | Yaad Aata Hai Tumhara Sindoor Tilkit Bhaal with Meaning

याद आता है तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल नागार्जुन की प्रेम और विरह की कविता  Yaad Aata Hai Tumhara Sindoor Tilkit Bhaal with Meaning

याद आता है तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल: नागार्जुन की कविता का गहन विश्लेषण और भावार्थ

जब भी famous Indian poets की बात होती है, तो जनकवि नागार्जुन का नाम सम्मान से लिया जाता है। उनकी रचनाएं अक्सर online Hindi literature courses का हिस्सा होती हैं क्योंकि वे सीधे दिल से निकलकर आम आदमी की कहानी कहती हैं। उनकी सबसे मार्मिक कविताओं में से एक है "याद आता है तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल", जो प्रेम, विरह और अपनी जड़ों से दूर एक प्रवासी के दर्द को दर्शाती है।

यह कविता सिर्फ एक याद नहीं, बल्कि भावनाओं का एक पूरा संसार है। यदि आप Yaad Aata Hai Tumhara Sindoor Tilkit Bhaal meaning या इसकी व्याख्या खोज रहे हैं, तो यह विश्लेषण आपके लिए है।

कविता: याद आता है तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल

कवि: नागार्जुन 

घोर निर्जन में परिस्थिति ने दिया है डाल!

याद आता है तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल!


कौन है वह व्यक्ति जिसको चाहिए न समाज?

कौन है वह एक जिसको नहीं पड़ता दूसरे से काज?


चाहिए किसको नहीं सहयोग?

चाहिए किसको नहीं सहवास?


कौन चाहेगा कि उसका शून्य में टकराए यह उच्छ्वास?

हो गया हूँ मैं नहीं पाषाण


जिसको डाल दे कोई कहीं भी

करेगा वह कभी कुछ न विरोध


करेगा वह कुछ नहीं अनुरोध

वेदना ही नहीं उसके पास


उठेगा फिर कहाँ से निःश्वास

मैं न साधारण, सचेतन जंतु


यहाँ हाँ-ना किंतु और परंतु

यहाँ हर्ष-विषाद-चिंता-क्रोध


यहाँ है सुख-दुख का अवबोध

यहाँ है प्रत्यक्ष औ’ अनुमान


यहाँ स्मृति-विस्मृति सभी के स्थान

तभी तो तुम याद आतीं प्राण,


हो गया हूँ मैं नहीं पाषाण!

याद आते स्वजन


जिनकी स्नेह से भींगी अमृतमय आँख

स्मृति-विहंगम को कभी थकने न देंगी पाँख


याद आता मुझे अपना वह ‘तरउनी’ ग्राम

याद आतीं लीचियाँ, वे आम


याद आते मुझे मिथिला के रुचिर भू-भाग

याद आते धान


याद आते कमल, कुमुदिनि और तालमखान

याद आते शस्य-श्यामल जनपदों के


रूप-गुण-अनुसार ही रखे गए वे नाम

याद आते वेणुवन के नीलिमा के निलय अति अभिराम


धन्य वे जिनके मृदुलतम अंक

हुए थे मेरे लिए पर्यंक


धन्य वे जिनकी उपज के भाग

अन्न-पानी और भाजी-साग


फूल-फल औ’ कंद-मूल अनेक विध मधु-मांस

विपुल उनका ऋण, सधा सकता न मैं दशमांश


ओह, यद्यपि पड़ गया हूँ दूर उनसे आज

हृदय से पर आ रही आवाज़


धन्य वे जन, वही धन्य समाज

यहाँ भी तो हूँ न मैं असहाय


यहाँ भी हैं व्यक्ति औ’ समुदाय

किंतु जीवन भर रहूँ फिर भी प्रवासी ही कहेंगे हाय!


मरूँगा तो चिता पर दो फूल देंगे डाल

समय चलता जाएगा निर्बाध अपनी चाल


सुनोगी तुम तो उठेगी हूक

मैं रहूँगा सामने (तस्वीर में) पर मूक


सांध्य नभ में पश्चिमांत-समान

लालिमा का जब करुण आख्यान


सुना करता हूँ, सुमुखि, उस काल

याद आता है तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल।

जनकवि नागार्जुन - Yaad Aata Hai Tumhara Sindoor Tilkit Bhaal कविता के रचयिता (People's Poet Nagarjun - Author of the poem "Yaad Aata Hai Tumhara Sindoor Tilkit Bhaal")

कविता का भावार्थ और व्याख्या (Detailed Analysis)

यह रचना separation poetry का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। चलिए इस कविता के गहरे अर्थ और भावों को समझते हैं, जो इसे best Hindi poetry की सूची में स्थान दिलाते हैं।

प्रेम और स्मृति का प्रतीक: "सिंदूर तिलकित भाल"

कविता की आत्मा "सिंदूर तिलकित भाल" पंक्ति में बसती है। यह सिर्फ एक छवि नहीं, बल्कि कवि के लिए प्रेम, स्थायित्व और अपने घर का प्रतीक है। जब भी वे अकेलेपन से घिरते हैं, तो पत्नी की यही स्मृति उन्हें भावनात्मक सहारा देती है। यह पंक्ति इस कविता को सबसे बेहतरीन love poems in Hindi में से एक बनाती है।

प्रवासी जीवन पर हिंदी कविता का दर्द

नागार्जुन यहाँ एक प्रवासी के मन की व्यथा को आवाज देते हैं। वे कहते हैं कि शहर में लोग और समुदाय तो हैं, लेकिन अपनेपन की कमी है। उन्हें हमेशा "प्रवासी ही कहेंगे हाय!" – यह पंक्ति शहर में अपनी पहचान खो चुके लाखों लोगों के दर्द को बयां करती है। यह कविता प्रवासी जीवन पर हिंदी कविता का एक जीवंत दस्तावेज है।

मातृभूमि और प्रकृति से जुड़ाव

पत्नी की याद के साथ ही कवि को अपने गाँव 'तरउनी', मिथिला की लीची, आम, धान और कमल की याद आती है। यह दिखाता है कि इंसान अपनी जड़ों से कभी अलग नहीं हो सकता। ये स्मृतियाँ ही उसके अकेलेपन का एकमात्र सहारा हैं।

जनकवि नागार्जुन: एक परिचय

बाबा नागार्जुन हिंदी साहित्य के उन स्तंभों में से हैं जिनकी रचनाओं को समझने के लिए किसी विशेष ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती। उनकी सीधी-सपाट भाषा गहरे से गहरा घाव करने और मरहम लगाने की क्षमता रखती है। यदि आप भारतीय साहित्य को गहराई से समझना चाहते हैं, तो आपको Nagarjun poetry collection अवश्य पढ़नी चाहिए। उनकी किताबें अक्सर best Hindi poetry books की सूची में शामिल होती हैं और ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध हैं।


अन्य कविताएं पढ़ें


इस कविता की कौन-सी पंक्ति आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई? नीचे कमेंट्स में बताएं।

Famous Poems

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

Charkha Lyrics in English: Original, Hinglish, Hindi & Meaning Explained

Charkha Lyrics in English: Original, Hinglish, Hindi & Meaning Explained Discover the Soulful Charkha Lyrics in English If you've been searching for Charkha lyrics in English that capture the depth of Punjabi folk emotion, look no further. In this blog, we take you on a journey through the original lyrics, their Hinglish transliteration, Hindi translation, and poetic English translation. We also dive into the symbolism and meaning behind this heart-touching song. Whether you're a lover of Punjabi folk, a poetry enthusiast, or simply curious about the emotions behind the spinning wheel, this complete guide to the "Charkha" song will deepen your understanding. Original Punjabi Lyrics of Charkha Ve mahiya tere vekhan nu, Chuk charkha gali de vich panwa, Ve loka paane main kat di, Tang teriya yaad de panwa. Charkhe di oo kar de ole, Yaad teri da tumba bole. Ve nimma nimma geet ched ke, Tang kath di hullare panwa. Vasan ni de rahe saure peke, Mainu tere pain pulekhe. ...