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महादेवी वर्मा की हिंदी कविता - संसार - निश्वासों का नीड़ | Mahadevi Verma Hindi Poems

महादेवी वर्मा की हिंदी कविता - संसार - निश्वासों का नीड़

Mahadevi Verma Hindi Poems

महादेवी वर्मा जी की हिंदी कविता - संसार - निश्वासों का नीड़  Mahadevi Verma Hindi Poems
महादेवी वर्मा जी की हिंदी कविता - संसार - निश्वासों का नीड़  Mahadevi Verma Hindi Poems

निश्वासों का नीड़, निशा का

बन जाता जब शयनागार,

लुट जाते अभिराम छिन्न

मुक्तावलियों के बन्दनवार,

तब बुझते तारों के नीरव नयनों का यह हाहाकार,

आँसू से लिख लिख जाता है ‘कितना अस्थिर है संसार’!


हँस देता जब प्रात, सुनहरे

अंचल में बिखरा रोली,

लहरों की बिछलन पर जब

मचली पड़तीं किरनें भोली,

तब कलियाँ चुपचाप उठाकर पल्लव के घूँघट सुकुमार,

छलकी पलकों से कहती हैं ‘कितना मादक है संसार’!

महादेवी वर्मा जी की हिंदी कविता - संसार - निश्वासों का नीड़  Mahadevi Verma Hindi Poems
महादेवी वर्मा जी की हिंदी कविता - संसार - निश्वासों का नीड़  Mahadevi Verma Hindi Poems

देकर सौरभ दान पवन से

कहते जब मुरझाये फूल,

‘जिसके पथ में बिछे वही

क्यों भरता इन आँखों में धूल’?

‘अब इनमें क्या सार’ मधुर जब गाती भँवरों की गुंजार,

मर्मर का रोदन कहता है ‘कितना निष्ठुर है संसार’!


स्वर्ण वर्ण से दिन लिख जाता

जब अपने जीवन की हार,

गोधूली, नभ के आँगन में

देती अगणित दीपक बार,

हँसकर तब उस पार तिमिर का कहता बढ-बढ पारावार,

‘बीते युग, पर बना हुआ है अब तक मतवाला संसार!’

महादेवी वर्मा जी की हिंदी कविता - संसार - निश्वासों का नीड़  Mahadevi Verma Hindi Poems
महादेवी वर्मा जी की हिंदी कविता - संसार - निश्वासों का नीड़  Mahadevi Verma Hindi Poems

स्वप्नलोक के फूलों से कर

अपने जीवन का निर्माण,

‘अमर हमारा राज्य’ सोचते

हैं जब मेरे पागल प्राण,

आकर तब अज्ञात देश से जाने किसकी मृदु झंकार,

गा जाती है करुण स्वरों में ‘कितना पागल है संसार!’

-

महादेवी वर्मा

Mahadevi Verma Ji Ki Hindi Kavita - अतिथि से | Atithi Se - महादेवी वर्मा जी की हिंदी कविता

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