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महादेवी वर्मा हिंदी कविता - विसर्जन | Visarjan - Mahadevi Verma Poems In Hindi

महादेवी वर्मा हिंदी कविता | Mahadevi Verma Poems In Hindi

विसर्जन | Visarjan


निशा की, धो देता राकेश

चाँदनी में जब अलकें खोल,

कली से कहता था मधुमास

बता दो मधुमदिरा का मोल;

महादेवी वर्मा हिंदी कविता - विसर्जन | Visarjan - Mahadevi Verma Poems In Hindi
महादेवी वर्मा हिंदी कविता - विसर्जन  Visarjan - Mahadevi Verma Poems In Hindi

बिछाती थी सपनों के जाल

तुम्हारी वह करुणा की कोर,

गई वह अधरों की मुस्कान

मुझे मधुमय पीडा में बोर;


झटक जाता था पागल वात

धूलि में तुहिन कणों के हार;

सिखाने जीवन का संगीत

तभी तुम आये थे इस पार!

गये तब से कितने युग बीत

हुए कितने दीपक निर्वाण!

महादेवी वर्मा हिंदी कविता - विसर्जन  Visarjan - Mahadevi Verma Poems In Hindi
महादेवी वर्मा हिंदी कविता - विसर्जन  Visarjan - Mahadevi Verma Poems In Hindi

नहीं पर मैंने पाया सीख

तुम्हारा सा मनमोहन गान।

भूलती थी मैं सीखे राग

बिछलते थे कर बारम्बार,

तुम्हें तब आता था करुणेश!

उन्हीं मेरी भूलों पर प्यार!


नहीं अब गाया जाता देव!

थकी अँगुली हैं ढी़ले तार

विश्ववीणा में अपनी आज

मिला लो यह अस्फुट झंकार!

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महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा हिंदी कविता - विसर्जन | Visarjan - Mahadevi Verma Poems In Hindi
महादेवी वर्मा हिंदी कविता - विसर्जन  Visarjan - Mahadevi Verma Poems In Hindi
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महादेवी वर्मा हिंदी कविता - विसर्जन | Visarjan - Mahadevi Verma Poems In Hindi

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