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बिछड़ भी जाएँ तो हाथों में हात रह जाए | Haathon Me Haath Reh Jaye - शकील आज़मी

बिछड़ भी जाएँ तो हाथों में हात रह जाए | Haathon Me Haath Reh Jaye

Shakeel Azmi Poems In Hindi

कुछ इस तरह से मिलें हम कि बात रह जाए 

बिछड़ भी जाएँ तो हाथों में हात रह जाए 

बिछड़ भी जाएँ तो हाथों में हात रह जाए | Haathon Me Haath Reh Jaye - शकील आज़मी

अब इस के बा'द का मौसम है सर्दियों वाला 

तिरे बदन का कोई लम्स साथ रह जाए 


मैं सो रहा हूँ तिरे ख़्वाब देखने के लिए 

ये आरज़ू है कि आँखों में रात रह जाए 


मैं डूब जाऊँ समुंदर की तेज़ लहरों में 

किनारे रक्खी हुई काएनात रह जाए 


'शकील' मुझ को समेटे कोई ज़माने तक 

बिखर के चारों तरफ़ मेरी ज़ात रह जाए 

-

शकील आज़मी

बिछड़ भी जाएँ तो हाथों में हात रह जाए | Haathon Me Haath Reh Jaye - शकील आज़मी

kuchh is tarah se mileñ ham ki baat rah jaa.e

bichhaḌ bhī jaa.eñ to hāthoñ meñ haat rah jaa.e

ab is ke ba.ad mausam hai sardiyoñ vaalā

tire badan koī lams saath rah jaa.e

maiñ so rahā huuñ tire ḳhvāb dekhne ke liye

ye aarzū hai ki āñkhoñ meñ raat rah jaa.e

maiñ Duub jā.ūñ samundar tez lahroñ meñ

kināre rakkhī huī kā.enāt rah jaa.e

'shakīl' mujh ko sameTe koī zamāne tak

bikhar ke chāroñ taraf merī zaat rah jaa.e

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