किताब वाली लड़की: सिमरन की यह Love Story आपको प्यार में यकीन दिला देगी | Romantic Hindi Kahani
आज की तेज़ रफ़्तार दुनिया में, क्या आप पहली नज़र के प्यार में यकीन करते हैं? क्या एक अधूरी मुलाक़ात भी एक ख़ूबसूरत कहानी की शुरुआत हो सकती है? कभी-कभी कुछ कहानियाँ बिना बोले ही बहुत कुछ कह जाती हैं, खासकर जब माहौल में बारिश की बूँदें, कॉफ़ी की महक और किताबों का साथ हो।
Sahityashala.in पर आज हम आपके लिए एक ऐसी ही दिल को छू जाने वाली प्रेम कहानी लेकर आए हैं। यह कहानी आपको उस पुराने स्कूल वाले रोमांस की याद दिला देगी। प्रस्तुत है युवा लेखिका सिमरन की कलम से निकली एक बेहद प्यारी लघु कथा - "किताब वाली लड़की"।
किताब वाली लड़की - Kitaab Wali Ladki
‘मूनलाइट कैफ़े’ के कॉर्नर वाली टेबल पर अकेले बैठी सिया हाथों में एक हिन्दी उपन्यास लिए उसमे खोयी थी, सामने उसके टेबल पर कॉफ़ी से आधा भरा कप रखा था| सिया उस उपन्यास में लिखी पंक्तियों को मन में ही पढ़ रही थी जिससे उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान भी थी, वो उस किताब में इतनी खोयी हुई थी कि एक पल के लिए भी उसकी आँखें उस किताब से ऊपर नहीं उठ रही थी| लेकिन वहीं बैठे वीर की नजरें बहुत देर से किताब में खोयी सिया को देख रही थी| वीर सिया के ठीक सामने वाली टेबल पर बैठा था, लेकिन शायद सिया ने अब तक उसे नहीं देखा था| पता नहीं ऐसा क्या था कि वीर सिया के अलावा कुछ देख ही नहीं पा रहा था|
वीर की टेबल पर रखा उसके चाय का कप बहुत पहले ही ख़त्म हो चुका था लेकिन उसे इसका भी एहसास नहीं, इस वक़्त बात बस इतनी थी कि सिया किताबों में और वीर सिया में खोया हुआ था और इसलिए दोनों को ही वक़्त का एहसास नहीं रहा| थोड़ी देर में बाहर होती बारिश की आती हुई आवाज़ और भी तेज़ हो गई, वहाँ बैठे लोग भी धीरे धीरे जाने लगें लेकिन वो दोनों अब भी अपनी अपनी दुनिया में खोए थे कि तभी वीर का फ़ोन रिंग हुआ और एकदम से होश में आते हुए उसने कॉल रिसीव किया और अपनी चेयर से उठ कर खिड़की के पास चला गया, थोड़ी देर में जब कॉल कट हुआ तो वीर ने मन ही मन यह तय कर लिया कि वो उस किताब वाली लड़की से मिल कर उसका नाम पूछेगा और अपने बारे में भी बताएगा लेकिन जैसे ही वह मुड़ा तो देखा कि वो लड़की अब वहाँ नहीं थी, वीर ने काउंटर पर पूछा तो जवाब आया कि वह तो पांच मिनट पहले ही निकल चुकी है|
वीर ने कैफ़े की विंडो से बाहर झाँक कर देखा तो उसे बाहर होती बारिश में आस पास कोई नज़र नहीं आया| अब वीर करता भी क्या फिर वह उदास मन से सिया की टेबल के पास आकर खड़ा हो गया और उस किताब वाली लड़की के चेहरे को याद करता हुआ कुछ देर उसके बारे में सोचता रहा और अपने लक को कोसता रहा और फिर जाने के लिए मुड़ गया कि तभी उसे लगा जैसे उसने अभी कुछ देखा और वह वापस टेबल की तरफ मुड़ा और टेबल के कॉर्नर पर लगा स्टिकी नोट देखा जिस पर लिखा था–
“मैं तेरी तलाश में, कोई मेरी तलाश में, ज़िन्दगी बीत रही है, जीने की तलाश में|” –सिया
वीर ने वो नोट पढ़ा और कुछ देर वहीं खड़ा कुछ सोचता रहा और फिर कुछ ऐसे मुस्कुराते हुए कैफ़े से निकल गया जैसे आज उसने कुछ ऐसा पा लिया हो जो आज से पहले उसके पास नहीं था| नोट पर लिखी पंक्तियों को दोहराते हुए वह उसी बारिश की आवाज़ को सुनता हुआ आगे बढ़ता रहा और उसने यह एहसास किया कि यह बारिश की आवाज़ अब पहले जैसी साधारण नहीं बल्कि सुकून भरी ताल में बदल चुकी है|
कहानी का सार: एक ख़ूबसूरत शुरुआत
यह Romantic Hindi Kahani एक अधूरी मुलाक़ात की कहानी होकर भी अपने आप में पूरी है। यह दिखाती है कि कैसे बिना एक शब्द कहे भी दो दिलों के बीच एक कनेक्शन बन सकता है। सिया का छोड़ा हुआ नोट इस कहानी का सबसे ख़ूबसूरत हिस्सा है। वह शायरी न केवल सिया की गहरी सोच को दर्शाती है, बल्कि वीर के लिए एक उम्मीद और एक नई तलाश का रास्ता भी खोल देती है। कहानी का अंत उदासी भरा नहीं, बल्कि सुकून और मुस्कुराहट भरा है, जो इस प्रेम कथा को एक यादगार अनुभव बनाता है।
लेखिका के बारे में: सिमरन
सिमरन, दिल्ली विश्वविद्यालय की अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। जैसा कि वह कहती हैं, "दिल से निकले हर लफ़्ज़ को काग़ज़ पर उतारना एक आदत सी बन गई है..." उनकी लेखन यात्रा कॉलेज के पहले साल से शुरू हुई, जब शब्दों ने उनके जज़्बातों को आवाज़ देनी शुरू की। उन्हें कविताएं, लघु कथाएं, एवं लेख आदि लिखना और पढ़ना बेहद पसंद है — खासकर वे रचनाएँ जो प्रेम, जीवन, भावनाएं, स्त्री-शक्ति और आत्म-अनुभूतियों को छूती हैं। कहानियां लिखना उनके लिए केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि एक ऐसा आईना है जिसमें वह खुद को बार-बार खोजती हैं।

