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मेरे अनकहे अल्फ़ाज़: एक अधूरे प्यार की दिल छूने वाली शायरी | Mere Ankahe Alfaaz - Abhishek Mishra

मेरे अनकहे अल्फ़ाज़: एक अधूरे प्यार की दिल छूने वाली शायरी | Mere Ankahe Alfaaz - Abhishek Mishra

मेरे अनकहे अल्फ़ाज़: खामोश मोहब्बत की एक अधूरी दास्ताँ

क्या आपने कभी किसी से इतना प्यार किया है कि आपके अल्फ़ाज़ कम पड़ गए? क्या कभी ऐसा हुआ है कि दिल में तो जज़्बातों का समंदर हो, पर ज़ुबां पर खामोशी की लहर? अगर हाँ, तो यह ब्लॉग पोस्ट और इसमें छुपी शायरी सिर्फ आपके लिए है। आज हम एक ऐसी ही दिल को छू लेने वाली कविता, "मेरे अनकहे अल्फ़ाज़" के सफ़र पर चलेंगे, जिसे अभिषेक मिश्रा (बलिया, उत्तर प्रदेश) ने अपनी कलम से सजाया है।

यह कविता उन सभी दिलों की आवाज़ है जिन्होंने अपने प्यार को खामोशी में जिया है, जिनकी मोहब्बत डायरी के पन्नों में या बस एक अधूरे खत में सिमट कर रह गई। यह उस एक तरफा प्यार की कहानी है जहाँ उम्मीदें कम और यादें ज़्यादा होती हैं।
मेरे अनकहे अल्फ़ाज़: एक अधूरे प्यार की दिल छूने वाली शायरी | Mere Ankahe Alfaaz - Abhishek Mishra

मेरे अनकहे अल्फ़ाज़ - Mere Ankahe Alfaaz

लेखक: अभिषेक मिश्रा


एक ख़त जो मैंने कभी नहीं लिखा,
पर दिल ने उसे हर रोज़ पढ़ा।
हर पन्ना मेरे दिल की धड़कनों का आईना था,
हर लफ़्ज़ मेरी अधूरी चाहत की गूँज।

कितनी बार मैंने उसे अपने दिल में संभाला,
कितनी बार अपनी साँसों में छुपा लिया।
हर मुस्कान तुम्हारे लिए थी,
हर आँसू मेरे भीतर दबा रहा।

कभी सपनों में तुम्हें पाया,
कभी यादों में तुम्हें खोया।
मेरे शब्द अधूरे, मेरे ख्वाब अधूरे,
पर इन खामोशियों में मेरा प्यार पूरा था।

गुज़रती हवाओं में तुम्हारी खुशबू थी,
गुज़रते पलों में तुम्हारी मुस्कान थी।
फिर भी मैं लिख न पाया, क्योंकि डर था—
शायद तुम नहीं समझ पाओ।

कितनी रातें जागकर तुम्हें सोचता रहा,
कितनी सुबहें तुम्हारे बिना टूटीं।
मेरे हाथों में अधूरे खत, मेरे दिल में अधूरी बातें,
मेरी आत्मा में अधूरा प्यार।

कितनी बार मैंने अपने अल्फाज़ फाड़ दिए,
कितनी बार अपने जज़्बात दबा लिए।
पर हर पन्ने में तुम थी, हर साँस में तुम्हारा नाम,
हर धड़कन में तुम्हारी याद।

और फिर भी, मैं लिखता रहा,
अपने खामोश ख्वाबों को, अपने अनकहे अहसासों को।

शायद एक दिन ये खत, तुम्हारे हाथों तक पहुँचेंगे।
और तब मेरी चुप्पी, मेरे अधूरे प्यार की कहानी कहेगी।

तुम समझ पाओगी कि मैंने कभी किसी और के लिए नहीं लिखा,
कि हर लफ़्ज़, हर साँस, हर धड़कन, सिर्फ तुम्हारे लिए थी।

और मैं…हमेशा तुम्हारा रहा,
तुम्हें चाहता रहा, चुपचाप, अनकहा, पर पूरी तरह।

और यदि तुम भी कभी इसे महसूस कर सको,
तो जान लेना—
मेरे हर अधूरे ख्वाब में,
तुम ही मेरी पूरी दुनिया हो।
मेरे अनकहे अल्फ़ाज़: एक अधूरे प्यार की दिल छूने वाली शायरी | Mere Ankahe Alfaaz - Abhishek Mishra

कविता का सार: जब खामोशी ही प्यार की ज़ुबां बन जाए

यह कविता सिर्फ शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि उन अनगिनत एहसासों का दस्तावेज़ है जो कभी कहे नहीं गए।

अधूरे खत की पूरी कहानी: कवि ने एक ऐसे खत का ज़िक्र किया है जो कभी लिखा ही नहीं गया, पर दिल उसे रोज़ पढ़ता है। यह उस प्यार की गहराई को दर्शाता है जो इज़हार का मोहताज नहीं। यह खत उन धड़कनों और अधूरी चाहतों का प्रतीक है जिन्हें दुनिया की नज़रों से छुपाकर रखा गया है।

डर और उम्मीद के बीच का फ़ासला: प्यार में सबसे खूबसूरत और सबसे दर्दनाक चीज़ शायद डर ही है - अपने प्यार को खोने का डर, या इस बात का डर कि "शायद तुम नहीं समझ पाओ।" यह एक पंक्ति उन लाखों आशिकों की कहानी बयां करती है जो सिर्फ इसलिए खामोश रह जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके जज़्बात समझे नहीं जाएँगे।

खामोशी में छिपा पूरा प्यार: "मेरे शब्द अधूरे, मेरे ख्वाब अधूरे, पर इन खामोशियों में मेरा प्यार पूरा था।" यह पंक्तियाँ इस कविता की आत्मा हैं। प्यार को पूरा होने के लिए हमेशा शब्दों की ज़रूरत नहीं होती। कभी-कभी किसी को चुपचाप, बिना किसी उम्मीद के, पूरी शिद्दत से चाहना भी अपने आप में एक मुकम्मल इश्क है।

निष्कर्ष: हर अनकहे अल्फ़ाज़ की अपनी एक कहानी है

अभिषेक मिश्रा की यह कविता हमें याद दिलाती है कि दुनिया में हर शोर के पीछे एक खामोशी होती है, और हर खामोशी में एक अनकही कहानी छुपी होती है। यह कविता उन सभी को समर्पित है जो अपने दिल में एक दुनिया बसाए बैठे हैं, पर उसे किसी से कह नहीं पाते।

अगर यह कविता आपके दिल को भी छू गई हो या आपकी अपनी भी कोई ऐसी "अनकही" कहानी है, तो हमें कमेंट्स में ज़रूर बताएं। इस खूबसूरत रचना को शेयर करें ताकि यह उन सभी तक पहुँच सके जो खामोश मोहब्बत के दर्द और खूबसूरती को महसूस करते हैं।
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