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Bhai Rahgir Ye Hum Konsi Gaadi Pe Chadh Gaye | भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए? - Rahgir Song Lyrics

मन से मन का दीप जलाओ | Diwali Poems In Hindi | Happy Diwali Poems 2023

मन से मन का दीप जलाओ

जगमग-जगमग दि‍वाली मनाओ

मन से मन का दीप जलाओ | Diwali Poems In Hindi | Happy Diwali Poems 2023
मन से मन का दीप जलाओ | Diwali Poems In Hindi | Happy Diwali Poems 2023

धनियों के घर बंदनवार सजती

निर्धन के घर लक्ष्मी न ठहरती

मन से मन का दीप जलाओ

घृणा-द्वेष को मिल दूर भगाओ


घर-घर जगमग दीप जलते

नफरत के तम फिर भी न छंटते

जगमग-जगमग मनती दिवाली


गरीबों की दिखती है चौखट खाली

खूब धूम धड़काके पटाखे चटखते

आकाश में जा ऊपर राकेट फूटते

काहे की कैसी मन पाए दिवाली

मन से मन का दीप जलाओ | Diwali Poems In Hindi | Happy Diwali Poems 2023
मन से मन का दीप जलाओ | Diwali Poems In Hindi | Happy Diwali Poems 2023

अंटी हो जिसकी पैसे से खाली

गरीब की कैसे मनेगी दीवाली

खाने को जब हो कवल रोटी खाली

दीप अपनी बोली खुद लगाते

गरीबी से हमेशा दूर भाग जाते


अमीरों की दहलीज सजाते

फिर कैसे मना पाए गरीब दि‍वाली

दीपक भी जा बैठे हैं बहुमंजिलों पर

वहीं झिलमिलाती हैं रोशनियां


पटाखे पहचानने लगे हैं धनवानों को

वही फूटा करती आतिशबाजियां

यदि एक निर्धन का भर दे जो पेट

सबसे अच्छी मनती उसकी दि‍वाली


हजारों दीप जगमगा जाएंगे जग में

भूखे नंगों को यदि रोटी वस्त्र मिलेंगे

दुआओं से सारे जहां को महकाएंगे

आत्मा को नव आलोक से भर देगें

मन से मन का दीप जलाओ  Diwali Poems In Hindi  Happy Diwali Poems 2023
मन से मन का दीप जलाओ  Diwali Poems In Hindi  Happy Diwali Poems 2023

फुटपाथों पर पड़े रोज ही सड़ते हैं

सजाते जिंदगी की वलियां रोज है

कौन-सा दीप हो जाए गुम न पता

दिन होने पर सोच विवश हो जाते

दीपावली की शुभकामनाएं..!

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Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

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सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

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