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Kahan To Tay Tha Chiraga Lyrics - कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये

Kahan To Tay Tha Chiraga Lyrics - कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये

कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये

कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये


यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है

चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिये

Kahan To Tay Tha Chiraga Lyrics - कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये

न हो क़मीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे

ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिये


ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही

कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिये


वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता

मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिये


जियें तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले

मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिये |

-

दुष्यंत कुमार

Kahan To Tay Tha Chiraga Lyrics - कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये

Kahan To Tay Tha Chiraga Har Rek Ghar Ke Liye


Kahan to tay tha chiraga har ek ghar ke liye

Kahan chirag mayssar nahin shahar ke liye


Yahan darkhton ke saye main dhoop lagti hai

Chalo yahan se chalen aur umar bhar ke liye


Na ho kameez to ghutno se pet dhak lenge

Ye log kitne munasib hain, is safar ke liye


Khuda nahin, n sahi, aadmi ka khwab sahi

Koi haseen nazara to hai nazar ke liye


Ve mutmaeen hain ki ptthar pighal nahi sakta

Main bekrar hoon aawaz men asar ke liye


Tera nizam hai sil de zuban shayar ki

Ye ehtiyat zaruri hai is bahar ke liye

दुष्यंत कुमार

Jiyen to apne bagheeche main gulmohar ke tale

Maren to gair ki galiyon main gulmohar ke liye

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