सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

New !!

साहित्यशाला कविता संग्रह: महाभारत, भक्ति, जीवन, प्रेम और प्रेरणा पर 100+ सर्वश्रेष्ठ कविताएँ

Din Kuch Aise Guzaarta Hai Koi - दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई | Gulzar Sahab Ghazal

Din Kuch Aise Guzaarta Hai Koi - दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

Gulzar Sahab Ghazal

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई 

जैसे एहसाँ उतारता है कोई 

Din Kuch Aise Guzaarta Hai Koi - दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई | Gulzar Sahab Ghazal

दिल में कुछ यूँ सँभालता हूँ ग़म 

जैसे ज़ेवर सँभालता है कोई 


आइना देख कर तसल्ली हुई 

हम को इस घर में जानता है कोई 


पेड़ पर पक गया है फल शायद 

फिर से पत्थर उछालता है कोई 


देर से गूँजते हैं सन्नाटे 

जैसे हम को पुकारता है कोई 

-

गुलज़ार

Din Kuch Aise Guzaarta Hai Koi - दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई | Gulzar Sahab Ghazal

Din Kuch Aise Guzaarta Hai Koi - दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

Gulzar Sahab Ghazal

din kuchh aise guzārtā hai koī 

jaise ehsāñ utārtā hai koī 

Din Kuch Aise Guzaarta Hai Koi - दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

dil meñ kuchh yuuñ sambhāltā huuñ ġham 

jaise zevar sambhāltā hai koī 


aa.ina dekh kar tasallī huī 

ham ko is ghar meñ jāntā hai koī 


peḌ par pak gayā hai phal shāyad 

phir se patthar uchhāltā hai koī 


der se gūñjte haiñ sannāTe 

jaise ham ko pukārtā hai koī 

Gulzar Sahab Ghazal

Famous Poems

Charkha Lyrics in English: Original, Hinglish, Hindi & Meaning Explained

Charkha Lyrics in English: Original, Hinglish, Hindi & Meaning Explained Discover the Soulful Charkha Lyrics in English If you've been searching for Charkha lyrics in English that capture the depth of Punjabi folk emotion, look no further. In this blog, we take you on a journey through the original lyrics, their Hinglish transliteration, Hindi translation, and poetic English translation. We also dive into the symbolism and meaning behind this heart-touching song. Whether you're a lover of Punjabi folk, a poetry enthusiast, or simply curious about the emotions behind the spinning wheel, this complete guide to the "Charkha" song will deepen your understanding. Original Punjabi Lyrics of Charkha Ve mahiya tere vekhan nu, Chuk charkha gali de vich panwa, Ve loka paane main kat di, Tang teriya yaad de panwa. Charkhe di oo kar de ole, Yaad teri da tumba bole. Ve nimma nimma geet ched ke, Tang kath di hullare panwa. Vasan ni de rahe saure peke, Mainu tere pain pulekhe. ...

सादगी तो हमारी ज़रा देखिए | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics (Nusrat Fateh Ali Khan)

सादगी तो हमारी ज़रा देखिए | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics (Nusrat Fateh Ali Khan)   यहाँ Saadgi To Hamari Zara Dekhiye (सादगी तो हमारी जरा देखिये) के पूरे लिरिक्स दिए गए हैं। यह उस्ताद नुसरत फतह अली खान साहब द्वारा अमर की गई एक कालजयी क़व्वाली है। यह ग़ज़ल अपने गहरे, दिल को छू लेने वाले अर्थ और प्यार की सादगी भरी अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती है। कई प्रशंसक इस क़व्वाली को इसकी प्रसिद्ध पंक्तियों से भी खोजते हैं। इस पोस्ट में "लोग डरते हैं कातिल की परछाई से" और "अपना अंजाम सब हमको मालूम था" जैसी मशहूर पंक्तियों के पूरे और सही बोल शामिल हैं। सादगी तो हमारी के संपूर्ण लिरिक्स नीचे हिंदी और रोमन अंग्रेजी में पढ़ें। सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस...

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics - फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है | Rahgir Song Lyrics

Aadmi Chutiya Hai Song Lyrics फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी चूतिया है फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है फूलों की लाशों में ताजगी ताजगी चाहता है आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है फूलों की लाशों में ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है मर जाए तो मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है आदमी चूतिया है काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में सीमेंट बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में मस्त है किसी खुमारी में और वो ही बंदा अपने घर के आगे आगे नदी चाहता है आदमी चूतिया है टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में वहाँ भी डीजे, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे छोड़ के अपनी स्याही ...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...
Follow my blog with Bloglovin