मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या ? || John Elia Hindi Ghazal || || John Elia Ki Hindi Ghazal || गाहे गाहे बस अब यही हो क्या ? तुमसे मिल कर बहुत ख़ुशी हो क्या ? मिल रही हो बड़े तपाक के साथ, मुझ को अकसर भुला चुकी हो क्या ? याद हैं अब भी अपने ख़्वाब तुम्हें, मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या ? अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं, बस मुझे यूं ही इक ख़याल आया, सोचती हो तो सोचती हो क्या ? अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं, अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या ? क्या कहा इश्क़ जावेदानी है! आख़िरी बार मिल रही हो क्या ? मेरे सब तंज़ बे-असर ही रहे, हां फ़ज़ा यां की सोई सोई सी है, तो बहुत तेज़ रौशनी हो क्या ? मेरे सब तंज़ बे-असर ही रहे, तुम बहुत दूर जा चुकी हो क्या ? दिल में अब सोज़-ए-इंतिज़ार नहीं, शम-ए-उम्मीद बुझ गई हो क्या ? इस समुंदर पे तिश्ना-काम हूं मैं, बान तुम अब भी बह रही हो क्या ? || जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल || || जौन एलिया की हिंदी ग़ज़ल ||
Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम, जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि, किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से, हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम, बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||