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मातृभाषा का महोत्सव - Matribhasha Ka Mahatva | Hindi Diwas Par Kavita

मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या : जॉन एलिया | John Elia Hindi Ghazal

 मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या ? || John Elia Hindi Ghazal ||  || John Elia Ki Hindi Ghazal || गाहे गाहे बस अब यही हो क्या ? तुमसे मिल कर बहुत ख़ुशी हो क्या ? मिल रही हो बड़े तपाक के साथ, मुझ को अकसर भुला चुकी हो क्या ? याद हैं अब भी अपने ख़्वाब तुम्हें, मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या ? अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं, बस मुझे यूं ही इक ख़याल आया, सोचती हो तो सोचती हो क्या ? अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं, अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या ? क्या कहा इश्क़ जावेदानी है! आख़िरी बार मिल रही हो क्या ? मेरे सब तंज़ बे-असर ही रहे, हां फ़ज़ा यां की सोई सोई सी है, तो बहुत तेज़ रौशनी हो क्या ? मेरे सब तंज़ बे-असर ही रहे, तुम बहुत दूर जा चुकी हो क्या ? दिल में अब सोज़-ए-इंतिज़ार नहीं, शम-ए-उम्मीद बुझ गई हो क्या ? इस समुंदर पे तिश्ना-काम हूं मैं, बान तुम अब भी बह रही हो क्या ?   || जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल ||  || जौन एलिया की हिंदी ग़ज़ल ||

Haalat-E-Haal Ke Sabab Ghazal - हालत-ए-हाल के सबब, हालत-ए-हाल ही गई | John Elia Hindi Ghazal

हालत-ए-हाल के सबब || John Elia Hindi Ghazal ||  || John Elia Ki Hindi Ghazal ||  हालत-ए-हाल के सबब, हालत-ए-हाल ही गई, शौक़ में कुछ नहीं गया, शौक़ की ज़िंदगी गई | एक ही हादिसा तो है और वो ये के आज तक, बात नहीं कही गयी, बात नहीं सुनी गई | बाद भी तेरे जान-ए-जान दिल में रहा अजब सामान, याद रही तेरी यहाँ, फिर तेरी याद भी गई | उसके बदन को दी नमूद हमने सुखन में और फिर, उसके बदन के वास्ते एक काबा भी सी गई | उसकी उम्मीद-ए-नाज़ का हमसे ये मान था के आप, उम्र गुज़ार दीजिये, उम्र गुज़ार दी गई | उसके विसाल के लिए, अपने कमाल के लिए, हालत-ए-दिल की थी खराब, और खराब की गई | तेरा फ़िराक जान-ए-जान ऐश था क्या मेरे लिए, यानी तेरे फ़िराक में खूब शराब पी गई | उसकी गली से उठ के मैं आन पडा था अपने घर, एक गली की बात थी और गली गली गई | || जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल ||  || जौन एलिया की हिंदी ग़ज़ल ||  

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे: जौन एलिया | John Elia Hindi Ghazal

 कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे || John Elia Hindi Ghazal ||  || John Elia Ki Hindi Ghazal || कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे, जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे |   शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं, मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे | वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था, आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे |   उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा, यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे | यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का, वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे | मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे, यानी मेरे बाद भी , यानी साँस लिए जाते होंगे | || जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल ||  || जौन एलिया की हिंदी ग़ज़ल ||  

Be-Karari Si Be-Karari Hai | बे-क़रारी सी बे-क़रारी है - John Elia | John Elia Urdu Ghazal

 बे-क़रारी सी बे-क़रारी है - Be-Karari Si Be-Karari Hai || John Elia Urdu Ghazal ||  || Sad Poetry In Hindi || बे-क़रारी सी बे-क़रारी है, वस्ल है और फ़िराक़ तारी है | जो गुज़ारी न जा सकी हमसे, हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है |   निघरे क्या हुए कि लोगों पर, अपना साया भी अब तो भारी है | बिन तुम्हारे कभी नहीं आई, क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है | आप में कैसे आऊँ मैं तुझ बिन साँस जो चल रही है आरी है | उस से कहियो कि दिल की गलियों में, रात दिन तेरी इंतिज़ारी है | हिज्र हो या विसाल हो कुछ हो, हम हैं और उस की यादगारी है |  इक महक सम्त-ए-दिल से आई थी, मैं ये समझा तेरी सवारी है | हादसों का हिसाब है अपना, वर्ना हर आन सब की बारी है | ख़ुश रहे तू कि ज़िंदगी अपनी, उम्र भर की उमीद-वारी है | - जौन एलिया  || John Elia Hindi Ghazal || || जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल || https://www.sahityashala.in/2022/05/Na-Khada-Tu-Dekh-Galat-Ko.html https://www.sahityashala.in/2022/05/Tum-Man-Ki-Awaaz-.html https://www.sahityashala.in/2021/07/Gora-Badal-Par-Hindi.html https://www.sahityashala.in/2021/0...

Naya Ik Rishta Paida नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम - John Elia | John Elia Hindi Ghazal

 नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम - Naya Ik Rishta Paida Kyun Karen Hum  || John Elia Hindi Ghazal || || जौन एलिया हिंदी ग़ज़ल || नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम ? बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम ?   ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी , कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम ?   ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं, वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम ? वफ़ा, इख़्लास, क़ुर्बानी, मोहब्बत, अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ करें हम ?   सुनादे अस्मते मरियम का किस्सा, पर इस बात को वाह क्यों करे हम ? ज़ुलह-खाये - अज़ीज़ा बात ये है, भला घाटे का सौदा क्यों करे हम ?   हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम ? तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम ?   किया था अहद जब लम्हों में हमने, तो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम ?   उठाकर क्यों न फेंके सारी चीज़ें, फ़क़त कमरों में टहला क्यों करे हम ?   नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी, तो फिर दुनिया की परवाह क्यूँ करें हम ?   बरहना है सरे बाज़ार तो क्या ? भला अंधों से पर्दा क्यों करे हम ? है बाशिंदे इसी बस्ती के हम भी, तो खुद पर भी भरोसा क्यों करे हम ? पड़ी र...

उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या - जौन एलिया | John Elia Ghazal In Hindi

उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या - जौन एलिया || John Elia Ghazal In Hindi ||  || जौन एलिया की हिंदी ग़ज़ल ||   उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या ? दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या ?   मेरी हर बात बे-असर ही रही, नक़्स है कुछ मेरे बयान में क्या   मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं, यही होता है ख़ानदान में क्या |   अपनी महरूमियाँ छुपाते हैं, हम ग़रीबों की आन-बान में क्या ?   ख़ुद को जाना जुदा ज़माने से, आ गया था मेरे गुमान में क्या ?   शाम ही से दुकान-ए-दीद है बंद, नहीं नुक़सान तक दुकान में क्या ?   ऐ मेरे सुब्ह-ओ-शाम-ए-दिल की शफ़क़ , तू नहाती है अब भी बान में क्या ?   बोलते क्यूँ नहीं मेरे हक़ में ? आबले पड़ गए ज़बान में क्या ?   ख़ामोशी कह रही है कान में क्या ? आ रहा है मेरे गुमान में क्या ?   दिल कि आते हैं जिस को ध्यान बहुत, ख़ुद भी आता है अपने ध्यान में क्या ?   वो मिले तो ये पूछना है मुझे, अब भी हूँ मैं तेरी अमान में क्या ?   यूँ जो तकता है आसमान को तू, कोई रहता है आसमान में क्या ?   है नसीम-ए-बहार गर्द-आलूद , ख़ाक उड़ती...

Famous Poems

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics | दर पे सुदामा गरीब आ गया है

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स देखो देखो ये गरीबी, ये गरीबी का हाल । कृष्ण के दर पे, विश्वास लेके आया हूँ ।। मेरे बचपन का यार है, मेरा श्याम । यही सोच कर मैं, आस कर के आया हूँ ।। अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो । अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो ।। के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है । के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है ।। भटकते भटकते, ना जाने कहां से । भटकते भटकते, ना जाने कहां से ।। तुम्हारे महल के, करीब आ गया है । तुम्हारे महल के, करीब आ गया है ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। हो..ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। बता दो कन्हैया को । नाम है सुदामा ।। इक बार मोहन, से जाकर के कह दो । तुम इक बार मोहन, से जाकर के कह दो ।। के मिलने सखा, बदनसीब आ...