बे-क़रारी सी बे-क़रारी है - Be-Karari Si Be-Karari Hai
|| John Elia Urdu Ghazal ||
|| Sad Poetry In Hindi ||
बे-क़रारी सी बे-क़रारी है,
वस्ल है और फ़िराक़ तारी है |
वस्ल है और फ़िराक़ तारी है |
जो गुज़ारी न जा सकी हमसे,
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है |
निघरे क्या हुए कि लोगों पर,
अपना साया भी अब तो भारी है |
अपना साया भी अब तो भारी है |
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई,
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है |
आप में कैसे आऊँ मैं तुझ बिन
साँस जो चल रही है आरी है |
उस से कहियो कि दिल की गलियों में,
रात दिन तेरी इंतिज़ारी है |
हिज्र हो या विसाल हो कुछ हो,
हम हैं और उस की यादगारी है |
इक महक सम्त-ए-दिल से आई थी,
मैं ये समझा तेरी सवारी है |
हादसों का हिसाब है अपना,
वर्ना हर आन सब की बारी है |
ख़ुश रहे तू कि ज़िंदगी अपनी,
उम्र भर की उमीद-वारी है |
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|| John Elia Hindi Ghazal ||
जौन एलिया