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Dekh Kar Badha Vividh, Bahu Vighn Ghabraate Nahi | Motivational Poems In Hindi

 Dekh Kar Badha Vividh, Bahu Vighn Ghabraate Nahi

कर्मवीर अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध

 देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं

Motivational Poems In Hindi 

 

Dekh Kar Badha Vividh, Bahu Vighn Ghabraate Nahi | Motivational Hindi Kavita

देखकर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं।
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं
काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नही
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं ।।



हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले।।
आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही


देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं - कर्मवीर


मानते जो भी है सुनते हैं सदा सबकी कही
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही
भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।।


जो कभी अपने समय को यों बिताते है नहीं
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं
आज कल करते हुए जो दिन गँवाते है नहीं
यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं


देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं - कर्मवीर


बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिये
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिये।।
व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर
वे घने जंगल जहां रहता है तम आठों पहर


गर्जते जल राशि की उठती हुई ऊँची लहर
आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लपट
ये कंपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं
भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं

देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं - कर्मवीर

देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं - कर्मवीर



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