वो मतवाले ! वो वैरागी !
Motivational Hindi Poem
Motivational Hindi Kavita
क्या आँखों के नग़में गाकर
गाकर प्रेम के गीत
बेवफ़ाई पर मिसरे गाकर
गाकर भजन-संगीत |
वो मतवाले! वो वैरागी!
क्या धन न वो कमा पाते ?
नेताओं के अनुचर बनकर
क्या बंगले न सजा पाते ?
धर्म गीत को गाकर क्या वो
भरपेट न भोजन खा पाते ?
तानाशाह को ख़ुदा बताकर
क्या वो चैन से सो पाते ?
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अन्य कवि, गीतकार तो
धन को ही मूल समझते थे
थे कुछ मतवाले, कुछ वैरागी
जो धन को धूल समझते थे |
वो मतवाले! वो वैरागी!
सत्ता से लोहा लेते थे
स्वाभिमान और देशभक्ति से
जीवन चैन से जीते थे |
प्रधानों के समक्ष जो
आवाज़ उठाया करते थे
आँखों में आँखें डाले वो
राष्ट्रप्रेम दिखाया करते थे |
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वो मतवाले! वो वैरागी!
जो देश का दुःख दर्शाते थे
हर मिसरे में अंगार लिए
वो जनकवि कहलाते थे |
पता नहीं ये हैं कैसे आशिक
जो माँ से प्यार न कर पाए ?
जीने मरने की बातें करते थे
वो देशप्रेम का
इज़हार न कर पाए |
माँ का सम्मान बचाने को
शीश देने का इकरार न कर पाए
जो मरने की धमकियाँ देते थे
वो माँ के लिए
कफ़न स्वीकार न कर पाए |
थे वो मतवाले! वो वैरागी!
माँ के थे जो असली अनुरागी
थे वो मतवाले! वो वैरागी!
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हर्ष नाथ झा