इक बार कहो तुम मेरी हो - Ik Baar Kaho Tum Meri Ho इब्न-ए-इंशा | Ibn-E-Insha हम घूम चुके बस्ती बन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम मेरी हो। जब सावन-बादल छाए हों जब फागुन फूल खिलाए हों जब चंदा रूप लुटाता हो जब सूरज धूप नहाता हो या शाम ने बस्ती घेरी हो इक बार कहो तुम मेरी हो। हाँ दिल का दामन फैला है क्यों गोरी का दिल मैला है हम कब तक पीत के धोके में तुम कब तक दूर झरोके में कब दीद से दिल की सेरी हो इक बार कहो तुम मेरी हो। क्या झगड़ा सूद-ख़सारे का ये काज नहीं बंजारे का सब सोना रूपा ले जाए सब दुनिया, दुनिया ले जाए तुम एक मुझे बहुतेरी हो इक बार कहो तुम मेरी हो। - इब्न-ए-इंशा इक बार कहो तुम मेरी हो - Ik Baar Kaho Tum Meri Ho | Ibn-E-Insha - Love Poems In Hindi (दीद=दर्शन, सेरी=तॄप्ति, सूद-ख़सारे=लाभ-हानि) Hinglish Transliteration of Ik Baar Kaho Tum Meri Ho : Ik Baar Kaho Tum Meri Ho Ibn-e-Insha Hum ghoom chuke basti ban mein Ik aas ka faans liye man mein Koi saajan ho, koi pyaara ho Koi deepak ho, koi ta...
Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम, जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि, किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से, हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम, बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||