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मातृभाषा का महोत्सव - Matribhasha Ka Mahatva | Hindi Diwas Par Kavita

नौजवाँ लोग पजामे को बुरा कहते हैं – तंज़िया उर्दू शायरी, समाज और सियासत पर व्यंग्य

नौजवाँ लोग पजामे को बुरा कहते हैं – तंज़िया उर्दू शायरी, समाज और सियासत पर व्यंग्य नौजवाँ लोग पजामे को बुरा कहते हैं -  Naujawaan Log Paijaame Ko Bura Kehte Hain पैंट फट जाए तो क़िस्मत का लिखा कहते हैं अपने अशआ'र में जुमअ को जुमा कहते हैं ऐसे उस्ताद को फ़ख़रुश्शुअरा कहते हैं नज़्म को गिफ़्ट रुबाई को अता कहते हैं शेर वो ख़ुद नहीं कहते हैं चचा कहते हैं आई-एम-एफ़ को समझते हैं मईशत का इलाज लोग अल-कुहल को खाँसी की दवा कहते हैं ये तो चलती नहीं पी-एम की इजाज़त के बग़ैर इस को ऐवान-ए-सदारत की हवा कहते हैं जाने कब इस में हमें आग लगानी पड़ जाए हम सियासत के जनाज़े को चिता कहते हैं जब से बच्चों को पसंद आई हैं हिन्दी फिल्में मुझ को अब्बा नहीं कहते वो पिता कहते हैं मेरी बारी पे हुकूमत ही बदल जाती है अब वज़ारत को ग़ुबारे की हवा कहते हैं लोड-शेडिंग की शिकायत पे दोलत्ती मारे लोग बिजली के मिनिस्टर को गधा कहते हैं भूक तख़्लीक़ का टैलेंट बढ़ा देती है पेट ख़ाली हो तो हम शेर नया कहते हैं - खालिद इरफ़ान इस शायरी की ख़ास बातें समाज पर तंज़ – पहली पंक्तियों में नौजवानों के कपड़ों और रवैये को लेकर शायर ने दिल...

Lekhak Hu...लेखक हूँ - Harsh Nath Jha | Sad Poems In Hindi

Lekhak Hun...लेखक हूँ Harsh Nath Jha Hindi  Poems Poems  By Harsh Nath Jha कैसी मेरी शायरी है ? मैं खुशी नहीं दे पाता हूँ इस दुनिया के ज़हर में और ज़हर घोल आता हूँ | क्यों अपनी लेखनी को मैं मोड़ नहीं सकता हूँ ? क्यों हृदय की हर पीड़ा को मैं छोड़ नहीं सकता हूँ ? काव्य उल्लास के लिखना चाहता हूँ प्रेम का इज़हार करना चाहता हूँ ये ग़म तो मेरा साथी है पर मैं प्यार करना चाहता हूँ | हाँ ! कर्त्तव्य से बँधा हूँ मैं देश की पुकार लिखने का देश की मिट्टी पर कई बार बिकने का | शासन की प्रताड़ना का मेरी लेखनी जवाब है मेरी मोहब्बत से कहीं बड़ा मेरे पुरखों का ख़्वाब है | गुणगान इतिहास का सही है पर मुझे सवाल उठाने हैं देश के लिए लिखना होगा कुछ रहस्य खुलवाने हैं | अमृत आना तो बाकी है हलाहल तो अब पीना है न जिए अगर धरा के लिए तो ये जीना कैसा जीना है ? हाँ! किसी को विष तो पीना है किसी को हर पल जीना है | कैसी मेरी शायरी है ? मैं खुशी नहीं दे पाता हूँ इस दुनिया के ज़हर में और ज़हर घोल आता हूँ | - हर्ष   नाथ   झा Sad Poems In Hindi Sad Shayari In Hindi

Khaali Hota Jaata Hun | खाली होता जाता हूँ - Harsh Nath Jha | Sad Poems In Hindi

  खाली होता जाता हूँ | Khaali Hota Jaata Hun Harsh Nath Jha Hindi  Poems Poems  By Harsh Nath Jha ये आँसू बहते क्यों नहीं क्यों नहीं मैं रो पाता हूँ ? अंदर क्यों इतना खाली हूँ ? क्यों खाली होता जाता हूँ ? ये डर नहीं, फिर है क्या ? ये बिना चोट का दर्द है जो जज़्बा दिल में खत्म हुआ शायद उसी का सर्द है । किस पर मैं करूँ क्रोध भला किसको गलत ठहराऊँ मैं ? क्यों नहीं मैं रो पाता हूँ क्यों ख़ुद को तड़पाऊँ मैं ? हर बार मैं जीत के भी हार ही क्यों जाता हूँ ? अंदर क्यों इतना खाली हूँ ? क्यों खाली होता जाता हूँ ? किस पर करूँ भरोसा मैं ? जब भरोसा ख़ुद में खो रहा हूँ किससे आँसू छिपाऊँ जब बिन आँसू के रो रहा हूँ ? मुझको सब गलत क्यों लगता है ? मैं अब किससे डरता हूँ ? कैसी मेरी ये जीत है? मैं तो हर पल मरता हूँ । किस दिन आँसू बहाऊँगा मैं ? किस दिन फिर रो पाऊँगा ? अंदर क्यों इतना खाली हूँ ? क्यों खाली होता जाता हूँ ? - हर्ष   नाथ   झा Sad Poems In Hindi Sad Shayari In Hindi

चल रही है सफ़र-ए-ज़िन्दगी - Harsh Nath Jha | Sad Poems In Hindi | Love Poems In Hindi

सफ़र - ए - ज़िन्दगी Harsh Nath Jha Hindi Poems Poems By Harsh Nath Jha चल रही है ये सफ़र-ए-ज़िन्दगी न रास्ता बदला न नज़ारें बदले बदले तो सिर्फ कुछ साथी हमारे बस मंज़िल बदली और सहारे बदले | चलते-चलते अब ठहर गया हूँ चलते हुए दूर हर पड़ाव लगता है और कितना चलूँ , चल-चल के अब हर चाल में ठहराव लगता है | आँसू भी आँखों से सूख गए हैं एक-सा मुझे, हर मुक़ाम लगता है हर कदम पे जो ये दिल था धड़कता ये धड़कना भी मुझे अब आम लगता है | किसके लिए मैं चलूँ अब ? किसके लिए हर कदम बढ़ाऊँगा ? अपने तो कब के छूट गए जीत के भी मैं फिर हार जायूँगा | इस ज़ुस्तज़ू-ए-ज़िन्दगी में क्यों ख़ुद से मैं अब निराश हूँ ? मैंने छोड़ा था जिन सहारों को उनसे ही अब क्यों उदास हूँ ? किसके लिए अब चलूँ मैं ? क्यों हिम्मत फिर जुटाऊँ मैं ? जिस ख़ुदा ने मुझसे सब छीन लिया क्यों फिर उसके पास जाऊँ मैं ? - हर्ष नाथ झा   Sad Poems In Hindi   Sad Shayari In Hindi

Man Me Itni Mayusi | मन में इतनी मायूसी - Emotional Poems In Hindi | Harsh Nath Jha

मन में इतनी मायूसी Sad Poems In Hindi Sad Shayari In Hindi Emotional Poems In Hindi Emotional Hindi Poems मन में इतनी मायूसी पहली बार हुई है ख़ुद में ख़ुद की कमी ऐसी पहली बार हुई है ऐसे आँसू , ऐसी ख़ुशी पहली बार हुई है महफ़िल में ख़ामोशी पहली बार हुई है | महफ़िल में ख़ामोशी पहली बार हुई है मन में इतनी मायूसी पहली बार हुई है शब्दों के पीछे तंज समझने मैं अब लगा हूँ शब्दों की कमी ऐसी पहली बार हुई है | जिनको मैंने जाना था वो सब दूर हुए हैं जिनसे दिल लगाया था सब मजबूर हुए हैं जिनसे लोरी सुनते थे जिनकी गोद में सोए हैं जिनको मैंने जाना था जिनके लिए रोये हैं | आँसू है, आँखों में मुँह से शब्द कैसे हैं साथ हैं सब लेकिन साथी न अब वैसे हैं ये झूठी मुस्कुराहटें लगती कितनी सच्ची हैं मन में बसी वो यादें पुरानी लगती कितनी अच्छी है | कैसे तोड़ दे रिश्ता दिल का जो सजाया था ? आशियाना सपनों का मन में जो बसाया था जेबें न अब खाली है पैसा बहुत कमाया है ये कैसी है खुशियाँ जिन्होंने बहुत रुलाया है ? ये ख़ामोशी पहले जो बहुत अधूरी लगती थी हर महफ़िल , हर पंक्ति बहुत ज़रूरी लगती थी अब आँखें वे दिखाते हैं जिन्होंने सिर झुक...

Famous Poems

सादगी तो हमारी जरा देखिये | Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan Sahab

Saadgi To Hamari Zara Dekhiye Lyrics सादगी तो हमारी जरा देखिये   सादगी तो हमारी जरा देखिये,  एतबार आपके वादे पे कर लिया | मस्ती में इक हसीं को ख़ुदा कह गए हैं हम,  जो कुछ भी कह गए वज़ा कह गए हैं हम  || बारस्तगी तो देखो हमारे खुलूश कि,  किस सादगी से तुमको ख़ुदा कह गए हैं हम || किस शौक किस तमन्ना किस दर्ज़ा सादगी से,  हम करते हैं आपकी शिकायत आपही से || तेरे अताब के रूदाद हो गए हैं हम,  बड़े खलूस से बर्बाद हो गए हैं हम ||

महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंदी कविता - Mahabharata Poem On Arjuna

|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna ||   तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी ||    रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें  उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य  उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ ||    सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है - Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai

  सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है रामधारी सिंह "दिनकर" हिंदी कविता दिनकर की हिंदी कविता Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का मूल नसाने को, बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में ? खम ठोंक ठेलता है जब नर , पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है । Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर, मेंहदी में जैसे लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो। बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड , झरती रस की धारा अखण्ड , मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्...

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Abhi Munde (Psycho Shayar) | कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita

Kahani Karn Ki Poem Lyrics By Psycho Shayar   कहानी कर्ण की - Karna Par Hindi Kavita पांडवों  को तुम रखो, मैं  कौरवों की भी ड़ से , तिलक-शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मैं | सूरज का अंश हो के फिर भी हूँ अछूत मैं , आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं |   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   कुंती पुत्र हूँ, मगर न हूँ उसी को प्रिय मैं, इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हूँ क्षत्रिय मैं ||   आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये, भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे | बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे, काबिल दिखाया बस लोगों को ऊँची गोत्र के ||   सोने को पिघलाकर डाला शोन तेरे कंठ में , नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने | यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ?   यही था गुनाह तेरा, तू सारथी का अंश था, तो क्यों छिपे मेरे पीछे, मैं भी उसी का वंश था ? ऊँच-नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था, वीरों की उसकी सूची में, अर्...

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics | दर पे सुदामा गरीब आ गया है

Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स देखो देखो ये गरीबी, ये गरीबी का हाल । कृष्ण के दर पे, विश्वास लेके आया हूँ ।। मेरे बचपन का यार है, मेरा श्याम । यही सोच कर मैं, आस कर के आया हूँ ।। अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो । अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो ।। के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है । के दर पे सुदामा, गरीब आ गया है ।। भटकते भटकते, ना जाने कहां से । भटकते भटकते, ना जाने कहां से ।। तुम्हारे महल के, करीब आ गया है । तुम्हारे महल के, करीब आ गया है ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। Dar Pe Sudama Garib Aa Gaya Hai Lyrics दर पे सुदामा गरीब आ गया है  लिरिक्स बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। हो..ना सर पे है पगड़ी, ना तन पे हैं जामा । बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा ।। बता दो कन्हैया को । नाम है सुदामा ।। इक बार मोहन, से जाकर के कह दो । तुम इक बार मोहन, से जाकर के कह दो ।। के मिलने सखा, बदनसीब आ...