जीवन एक ऐसी यात्रा है जिसका कोई नक़्शा पहले से बना हुआ नहीं मिलता। चाहे आप 2025 में अपने करियर की शुरुआत कर रहे हों या किसी व्यक्तिगत उलझन में फँसे हों, मन में यह सवाल जरूर आता है—"क्या मैं सही रास्ते पर हूँ?"
हिन्दी साहित्य के 'हालावाद' के प्रवर्तक हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) ने अपनी कालजयी कविता "पथ की पहचान" (Path Ki Pehchaan) में इसी द्वंद्व का उत्तर दिया है। यह कविता केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि एक 'लाइफ गाइड' है।
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| जीवन का कठिन लेकिन सुंदर मार्ग (Symbolic representation of the Batohi's path). |
आज साहित्यशाला (Sahityashala) पर हम इस कविता का पूर्ण पाठ, उसका भावार्थ और उससे जुड़ी जीवन की गहराइयों को समझेंगे। साथ ही, अंत में इस कविता का एक सुंदर वीडियो भी देखेंगे।
विषय सूची:
पथ की पहचान (Path Ki Pehchaan) - सम्पूर्ण कविता
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकी कहानी,
हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की जबानी,
अनगिनत राही गए इस राह से, उनका पता क्या,
पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी,
यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है,
खोल इसका अर्थ, पंथी, पंथ का अनुमान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
है अनिश्चित किस जगह पर सरित, गिरि, गह्वर मिलेंगे,
है अनिश्चित किस जगह पर बाग वन सुंदर मिलेंगे,
किस जगह यात्रा खतम हो जाएगी, यह भी अनिश्चित,
है अनिश्चित कब सुमन, कब कंटकों के शर मिलेंगे
कौन सहसा छूट जाएँगे, मिलेंगे कौन सहसा,
आ पड़े कुछ भी, रुकेगा तू न, ऐसी आन कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
कौन कहता है कि स्वप्नों को न आने दे हृदय में,
देखते सब हैं इन्हें अपनी उमर, अपने समय में,
और तू कर यत्न भी तो, मिल नहीं सकती सफलता,
ये उदय होते लिए कुछ ध्येय नयनों के निलय में,
किंतु जग के पंथ पर यदि, स्वप्न दो तो सत्य दो सौ,
स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो, सत्य का भी ज्ञान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
स्वप्न आता स्वर्ग का, दृग-कोरकों में दीप्ति आती,
पंख लग जाते पगों को, ललकती उन्मुक्त छाती,
रास्ते का एक काँटा, पाँव का दिल चीर देता,
रक्त की दो बूँद गिरतीं, एक दुनिया डूब जाती,
आँख में हो स्वर्ग लेकिन, पाँव पृथ्वी पर टिके हों,
कंटकों की इस अनोखी सीख का सम्मान कर ले ।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
यह बुरा है या कि अच्छा, व्यर्थ दिन इस पर बिताना,
अब असंभव छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना,
तू इसे अच्छा समझ, यात्रा सरल इससे बनेगी,
सोच मत केवल तुझे ही यह पड़ा मन में बिठाना,
हर सफल पंथी यही विश्वास ले इस पर बढ़ा है,
तू इसी पर आज अपने चित्त का अवधान कर ले ।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले ।
कविता का भावार्थ और जीवन की सीख
हरिवंश राय बच्चन जी की लेखनी में जो ओज उनकी प्रसिद्ध रचना अग्निपथ (Agnipath) में दिखता है, वही धैर्य और नियोजन इस कविता में दिखाई देता है। आइए, इसे विस्तार से समझें:
1. अनुभव की पाठशाला
कवि कहते हैं कि जीवन की असली सीखें किताबों में नहीं मिलतीं। जिस तरह Finance (वित्त) की दुनिया में निवेश के फैसले अनुभव से सुधरते हैं, वैसे ही जीवन में भी दूसरों के पदचिह्नों से सीखना पड़ता है। हमारे पूर्वजों या पिता तुल्य व्यक्तियों के अनुभव (Fathers Day Poems in Hindi) हमारे लिए मार्गदर्शक बन सकते हैं, लेकिन चलना हमें खुद ही पड़ता है।
2. अनिश्चितता ही जीवन है
जीवन में कब सुख (सुमन) मिलेंगे और कब दुःख (कंटक), यह कोई नहीं जानता। बच्चन जी ने यहाँ प्रकृति (Nature) के सुंदर प्रतीकों जैसे 'सरित' (नदी) और 'गह्वर' (गुफा) का प्रयोग किया है। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो आप हमारी Hindi Poem for Nature पोस्ट में ऐसे और भी बिम्ब देख सकते हैं।
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| डॉ. हरिवंश राय बच्चन (Legendary Hindi Poet) |
कवि का संदेश साफ़ है—परिस्थिति कैसी भी हो, रुकना नहीं है। यही जज्बा हमें स्वतंत्रता दिवस की कविताओं में भी मिलता है, जहाँ वीरों ने बाधाओं की परवाह नहीं की।
3. यथार्थ और स्वप्न का संतुलन
सपने देखना बुरा नहीं है, लेकिन सच्चाई से मुँह मोड़ना घातक हो सकता है। "आँख में हो स्वर्ग लेकिन, पाँव पृथ्वी पर टिके हों"—यह पंक्ति आज के युवाओं के लिए सबसे बड़ी Motivational Poem है।
यदि अतीत में कोई गलती हुई हो या कोई काँटा चुभा हो, तो उसे लेकर बैठने का कोई लाभ नहीं। बच्चन जी की ही एक और रचना "जो बीत गई सो बात गई" हमें यही सिखाती है कि बीती बातों को भुलाकर आगे बढ़ना ही जीवन है।
4. साहित्य और संस्कृति का संगम
जहाँ हिन्दी कविताएँ हमें जीवन का दर्शन समझाती हैं, वहीं मैथिली कविताएँ (Maithili Poems) हमें अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़ती हैं। साहित्य का यह विस्तार, चाहे वह English Literature हो या हिन्दी, हमें एक बेहतर इंसान बनाता है। आप बच्चन जी की अन्य रचनाएँ हमारे Harivansh Rai Bachchan Collection में पढ़ सकते हैं।
वीडियो देखें: पथ की पहचान (Video Recitation)
Credit: Wisdom Vidyalaya YouTube Channel
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: 'पथ की पहचान' कविता का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस कविता का मुख्य उद्देश्य मनुष्य को कर्मपथ पर चलने से पहले विवेकपूर्ण निर्णय लेने और मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने की प्रेरणा देना है।
प्रश्न 2: 'पूर्व चलने के बटोही' में 'बटोही' शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर: 'बटोही' का शाब्दिक अर्थ है 'राहगीर' या 'यात्री'। यहाँ यह जीवन रूपी यात्रा पर निकले हर संघर्षशील व्यक्ति का प्रतीक है।
प्रश्न 3: हरिवंश राय बच्चन ने सपनों (Dreams) के बारे में क्या कहा है?
उत्तर: कवि कहते हैं कि सपने देखना अच्छा है क्योंकि वे उत्साह देते हैं, लेकिन हमें सपनों पर इतना मुग्ध नहीं होना चाहिए कि हम जीवन के कठोर सत्य और कठिनाइयों (काँटों) को भूल जाएँ।
प्रश्न 4: यह कविता बच्चन जी के किस काव्य संग्रह से ली गई है?
उत्तर: यह कविता उनके शुरुआती दौर की रचनाओं में से एक है, जो 'संगीन जल' और अन्य संकलनों में पाई जाती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
मित्रों, "पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले" महज एक पंक्ति नहीं, एक मंत्र है। चाहे आप अपने पिता के संघर्षों को याद कर रहे हों (Father Poems) या स्वयं अपने भविष्य का निर्माण कर रहे हों, यह कविता आपको हर कदम पर संबल देगी।
अगर आपको यह प्रस्तुति पसंद आई हो, तो इसे उन दोस्तों के साथ जरूर साझा करें जो जीवन के किसी दोराहे पर खड़े हैं। सही राह चुनें और चलते रहें!